कोल्हापुर: जिले की लगभग 20 चीनी मिलों ने एक संयुक्त बयान जारी कर किसानों से चालू पेराई सत्र के लिए गन्ने की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने की अपील की है। मिलों के अनुसार, नियमित आपूर्ति से उन्हें वित्तीय नुकसान से बचने में मदद मिलेगी और इससे अंततः किसानों को फायदा होगा। यह संयुक्त बयान पूर्व सांसद राजू शेट्टी के नेतृत्व वाले स्वाभिमानी शेतकरी संगठन द्वारा जयसिंगपुर में गन्ना किसानों की ‘ऊस परिषद’ आयोजित करने से एक दिन पहले आया है। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन ने पहले ही फसल की कटाई और मिलों तक इसके परिवहन को रोकने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया है। किसान संगठन के अनुसार, मिलों को गन्ना खरीदने से पहले मूल्य की घोषणा करनी चाहिए और उसके बाद ही उपज को काटने और परिवहन की अनुमति दी जाएगी।
संयुक्त बयान में चीनी मिलों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि, वे केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) से अधिक भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं। गन्ने के चालू सीजन के लिए एफआरपी 10.25% चीनी रिकवरी दर के लिए 3,150 रुपये प्रति टन है। मिलें चीनी रिकवरी दर के अनुसार राशि का भुगतान करने को तैयार है। पिछले पांच वर्षों में जबकि एफआरपी राशि में वृद्धि हुई है, चीनी का न्यूनतम समर्थन मूल्य स्थिर रहा है, जिससे मिलों को ज्यादा लाभ नहीं हुआ है। हमें एमएसपी बढ़ाने के लिए भी लड़ना चाहिए ताकि मिलें कर्ज चुकाने की स्थिति में आ सकें।
मिलों ने तुरंत पेराई शुरू करने के लिए कवायद तेज कर दी है, क्योंकि उनका कहना है कि पेराई में देरी से उपज की उपलब्धता कम होगी और मिलों के राजस्व पर असर पड़ेगा। गन्ने की कमी के कारण इस बार मिले 100 दिनों से अधिक नहीं चलने वाली हैं। बयान में कहा गया है कि, पड़ोसी जिलों और राज्य (कर्नाटक) ने पेराई शुरू कर दी है और संभावना है कि किसान अपनी उपज वहां स्थित मिलों को भेजेंगे।