औरंगाबाद / पुणे : चीनी मंडी
सुखाग्रस्त मराठावाडा में गन्ना फसल पर पाबंदी लागू करने कि शिफारीश करनेवाली रिपोर्ट संभागीय आयुक्त ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सौंप दी है। मगर महाराष्ट्र में गन्ना फसल को ‘राजकीय’ फसल की तौर पर देखा जाता है, इसलिए जानकारों का मानना है की संभागीय आयुक्त द्वारा रिपोर्ट पर कार्रवाई होना फिलहाल असंभव है। विधानसभा चुनाव भी नजदीक आ रहे है, इसलिए अभी तो गन्ना की खेती पर पाबंदी लगाने की संभावना बहुत कम है।
मराठावाडा की बहुत सारी मिलें राजनीतिक दलों की है, और इन मिलों की चुनावी राजनिती में काफी अहम भूमिका होती है। इससे यह बात साफ है की, राजनेता मिलें नही बंद होने देंगे। कुछ जानकारों ने सुझाव दिया है की, गन्ना खेती पर पुरी तरह प्रतिबंध लगाने की बजाय ड्रीप सिंचाई का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
मराठवाडा इलाके में 60 से ज्यादा चीनी मिलें है और गन्ना फसल से लगभग डेड लाख किसान सीधे जुडे है। मराठवाडा में 3 लाख 13 हजार हेक्टेयर पर गन्ने खेती होती है। अगर गन्ना खेती पर पाबंदी लगाई जाती है, तो मराठावाडा में पानी की काफी बचत होने का दावा किया जा रहा है। बचा हुआ पाणी दालें और तिलहनों के खेती के लिए दिया जाए तो लगभग 3 लाख हेक्टेयर खेती को पानी मिल सकता है।
इससे पहले संभागीय आयुक्त की रिपोर्ट में कहा गया है की मराठवाड़ा में गन्ना उत्पादन और चीनी मिलों पर बहुत खर्च होता है। इसलिए यहाँ गन्ना उत्पादन और चीनी मिलों पर पाबंदी लगानी चाइये। लेकिन इसके आसार बहुत कम नजर आ रहे है।
संभागीय आयुक्त द्वारा की गई शिफारीश…
सरकार को मिलों को क्रशिंग लायसन्स नही देना चाहिए, 100 प्रतिशत ड्रीप सिंचाई करने वाले मिलों को ही केवल क्रशिंग लायसन्स मिले, नदी से गन्ने को पानी देने पर पाबंदी जरूरी।
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