नई दिल्ली: Covid -19 मामलों में उछाल और राज्य सरकारों द्वारा देश भर में लॉकडाउन / कर्फ्यू प्रतिबंध के कारण चीनी की बिक्री प्रभावित हुई है। चीनी मिलर्स को कम तरलता का सामना करना पड़ रहा है और गन्ना किसानों के भुगतान को पूरा करने में विफल रहें है, जो कि लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार लगभग 23,000 करोड़ से अधिक बकाया है।
‘चीनीमंडी’ के साथ बातचीत में, नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे, ने इस स्थिति पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा की, मिलर्स ठप चीनी बिक्री, कमजोर तरलता और गन्ने का बकाया भुगतान करने में असमर्थता आदि मुद्दों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, मेरी राय में वर्तमान स्थिति मार्च 2020 के पहले लॉकडाउन की तरह हो हो रही है। पिछले साल 100 दिनों के लॉकडाउन ने 1 मिलियन टन चीनी की खपत को कम कर दिया था। थोक खपत करने वाले उद्योग जैसे की पेय पदार्थ, आइसक्रिम, चॉकलेट्स, बिस्कुट, स्वीटमेट्स और शरबत उनके चीनी खरीद में कटौती की संभावना है। साथ ही समारोहों और सार्वजनिक कार्यों पर प्रतिबंध से चीनी की खपत में कमी आएगी। इस प्राकृतिक आपदा के एक परिणाम के रूप में भारतीय चीनी क्षेत्र एक और डरावने व्यापार घाटे को देख रहा है जिससे वित्तीय तनाव और गन्ने का बकाया बढ़ता है।