नई दिल्ली : भारत में चीनी मिलों को कम से कम अगले तीन महीनों के लिए तरलता की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इस सीजन में चीनी स्टॉक के 107 लाख टन के शुरुआती अधिशेष ने लगभग 35,000 करोड़ की कार्यशील पूंजी को अवरुद्ध कर दिया है और चीनी निर्यात से अधिकांश नकदी प्रवाह मई-जून में होने की संभावना है। इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन (ISMA) के अनुसार, वर्तमान में चीनी मिलों द्वारा उत्पन्न राजस्व का लगभग 85-90 प्रतिशत हिस्सा गन्ना भुगतान के लिए खर्च किया जाता है, जिसके कारण वर्तमान मौसम में किसानों को लगभग 93,000-94,000 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य देय है।
द हिन्दू बिज़नेसलाइन डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, ‘इस्मा’ के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा की, अप्रैल, 2021 तक की अवधि गन्ने की खरीद चीनी की बिक्री से ज्यादा है, जिससे मिलें किसानों को गन्ना मूल्य चुकाने में सक्षम नही है। उन्होंने कहा कि, चीनी निर्यात अभी शुरू हुआ है, और अब तक लगभग 17-18 लाख टन निर्यात अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। वर्मा ने कहा, चीनी निर्यात से नकदी प्रवाह मई-जून 2021 से आएगा, जिसका मतलब है कि, तब तक चीनी मिलें तरलता की कमी का सामना करती रहेंगी।