तमिलनाडु: कोरोना की महामारी ने गन्ना किसानों को भी बुरी तरह से प्रभावित हैं। लॉकडाउन के कारण सहकारी चीनी मिलों से बकाया के निपटारे में देरी, फसल की कटाई के लिए मजदूरों की कमी और बैंकों से बीजों की खरीद के लिए ऋण उठाने में अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि गन्ने की अच्छी मांग के बावजूद मौजूदा संकट ने उन्हें अगले सीजन के लिए फसल उगाने के संबंध में हतोत्साहित किया है।
चीनी मिलें भी आर्थिक संकट में है जिसके कारण वे गन्ना बकाया चुकाने में विफल हो रहे है। इसके अलावा, गन्ने की कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इससे गन्ना किसानों के लिए संकट औऱ गहरा गया है।
मदुरै के वलानदूर के एक किसान करुपैया ने कहा कि मैंने दो एकड़ में फसलें उगाई थीं और फसल काटने के लिए गन्ना कटाई किसान मिलना मुश्किल हो रहा था। मजदूरों की बढ़ती मांग के कारण, उनकी मजदूरी लगभग दोगुनी हो गई है और प्रत्येक टन गन्ने की कटाई के लिए वे 1,200 रुपए मांग रहे हैं। संकट को संभालना मुश्किल होता जा रहा है।
कृषि के संयुक्त निदेशक टी विवेकानंदन ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरों, किसानों और अधिकारियों की आवाजाही के लिए पास जारी किये जा रहे हैं ताकि आवश्यक चीजों की दिक्कत न हो। लॉकडाउन अवधि के शुरुआती दिनों की तुलना में, श्रम की कमी के मुद्दे को एक हद तक संबोधित किया गया है।
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