जबलपुर : मध्य प्रदेश का शिक्षा विभाग बच्चों को मधुमेह से बचाव के तरीके बताने के लिए राज्य के हर स्कूल में शुगर बोर्ड स्थापित करने जा रहा है। इसके साथ ही बच्चों के लिए कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अनुशंसा पर मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजा है। गलत खान-पान की वजह से कम उम्र में बढ़ रही मधुमेह की बीमारी को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।
भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद की एक इकाई देश में मधुमेह के रोगियों की बढ़ती संख्या पर अध्ययन करती है। इसके अनुसार, 1990 में भारत में 5.5 प्रतिशत लोग मधुमेह के रोगी थे। 2016 तक यह संख्या 7 प्रतिशत तक पहुंच गई। 2018 के सर्वेक्षण में यह संख्या 9.3 प्रतिशत थी, जो 2021 में बढ़कर 9.7 प्रतिशत हो गई।
जबलपुर के डॉक्टर सुनील मिश्रा ने कहा, हमारे बदलते खान-पान और हमारी बदलती जीवनशैली मधुमेह के मुख्य कारण हैं। आजकल आदमी आराम पसंद करता है, मेहनत कम करता है। जबकि उसका भोजन पहले की तुलना में अधिक पौष्टिक हो गया है। इसमें तेल, कार्बोहाइड्रेट, चीनी और प्रोटीन अधिक है। आवश्यकता से अधिक भोजन शरीर में पहुंच रहा है। इस वजह से मोटापा बढ़ रहा है और लोगों में मधुमेह की समस्या बढ़ रही है।
माना जा रहा है कि, बोर्ड छात्रों को समझाएगा कि चीनी के अधिक उपयोग से कौन सी बीमारियाँ हो सकती हैं, किन चीजों में अधिक चीनी होती है और जंक फूड क्या है।जबलपुर के जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने कहा, पत्र के संबंध में मैंने जबलपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से चर्चा की है और जल्द ही जिले के सभी निजी और सरकारी स्कूलों में बोर्ड की स्थापना की जाएगी।सोनी ने कहा, इसके साथ ही स्कूलों में मधुमेह से संबंधित विषयों पर कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी। सभी स्कूलों को 30 दिनों के भीतर बोर्ड लगाना होगा और स्कूल शुरू होते ही (अगले शैक्षणिक वर्ष में) कार्यशालाएं आयोजित करनी होंगी।