मुंबई : चीनीमंडी
महाराष्ट्र में 11 चीनी मिलों को 2017-18 के सीजन के लिए राजस्व साझा फ़ॉर्मूला (आरएसएफ) का पालन करने में विफल रही है, अब उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। मामले में अंतिम निर्णय 17 जुलाई को मुंबई में गन्ना नियंत्रण बोर्ड की बैठक के दौरान लिया जाएगा। महाराष्ट्र में चीनी मिलों को अपने किसानों के साथ गन्ने से उत्पन्न चीनी, मोलासेस और इथेनॉल की बिक्री से उत्पन्न राजस्व को साझा करना होता है। सी रंगराजन समिति की सिफारिशों के अनुसार, मिलों को 70 प्रतिशत राजस्व किसानों के साथ साझा करना होता है, जबकि 30 प्रतिशत मिलों के हिस्से में जाता हैं।
गन्ना नियंत्रण बोर्ड, जिसका नेतृत्व राज्य के मुख्य सचिव करते हैं, उनके द्वारा ‘आरएसएफ’ को अंतिम रूप दिया जाता है। बोर्ड की जिला कार्यालयों की सिफारिश के बाद जो मिलें भुगतान में विफ़ल रहती है, उन्हें 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। 2017-18 सीज़न के लिए, 175 में से 144 मिलों ने आरएसएफ के अनुसार अपने भुगतान को मंजूरी दी थी। शेष 31 मिलों में से 20 भुगतान करने के लिए सहमत हुए थे जबकि 11 मिलें प्रश्नों का उत्तर देने में विफल रहे। गन्ना आयुक्त कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि, इन मिलों के लिए आरएसएफ असामान्य रूप से उच्च स्तर पर आ गई है, जो मिलों के वित्तीय स्वास्थ्य को भी सवाल में डाल सकती है।
हालांकि, महाराष्ट्र के मिलर्स का कहना है कि, चीनी की कीमतों में और बिक्री में गिरावट आयी है। पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्व के मुख्य बाजार पर उत्तर प्रदेश की मिलों ने कब्जा किया है। उनकी भौगोलिक निकटता के कारण उन्हें लाभ मिलता है और इस तरह वे परिवहन दरों को कम कर पाते हैं। महाराष्ट्र की मिलों को उत्तर प्रदेश की मिलों के साथ प्रतियोगिता के लिए मैच करना मुश्किल हो रहा है। महाराष्ट्र की मिलों ने चीनी को कम करने में सरकार से 500 रुपये प्रति टन सब्सिडी मांगी है।
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