पुणे: इस साल का पेराई सीजन शुरू होने में केवल एक से दो महीने ही बचे है, लेकिन अभी भी कई मिलों द्वारा शत प्रतिशत भुगतान लंबित है। आपको बता दे की, अगस्त के मध्य तक 149 चीनी मिलों ने किसानों को पूरा एफआरपी (FRP-गन्ना मूल्य) भुगतान कर दिया है।
इस सीजन 211 चीनी मिलों ने सीजन में भाग लिया था, और 1 हजार 53 लाख टन गन्ने की पेराई की गई। परिवहन लागत सहित गन्ना कटाई का एफआरपी 35 हजार 532 करोड़ रुपये था। इसमें से 35 हजार 333 करोड़ रुपए किसानों को दिए गए। मिलों पर अभी भी 199 करोड़ रुपये बकाया है। एफआरपी भुगतान को लेकर चीनी आयुक्त कार्यालय सख्त हुआ है, और उन्होंने एफआरपी भुगतान में विफल राज्य की 17 चीनी मिलों को आरआरसी नोटिस भी जारी किया गया है।
किसानों का कहना है की, इस समय घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें लगातार बढ़ रही है, और एथेनॉल को भी अच्छा दाम मिल रहा है। चीनी मिलें अब आर्थिक मुश्किलों से बाहर आ रही है, और उन्हें बकाया एफआरपी का तुरंत भुगतान करना चाहिए। आपको बता दे की, प्रदेश की 56 मिलों ने 80 से 99 फीसदी, 60 से 79.99 फीसदी तक 1 मिल और 0 से 59 फीसदी तक 5 मिलों ने किसानों को भुगतान किया है। सभी चीनी मिलों द्वारा कुल बकाया राशि का 98.40 प्रतिशत भुगतान कर दिया गया है।
फिलहाल बाजार में चीनी की कीमत में उतार-चढ़ाव चल रहा है। ऐसी उम्मीद थी कि मौजूदा त्यौहार के कारण मांग बढ़ने से चीनी की कीमतें बढ़ेंगी। जून के बाद धीरे-धीरे बढ़ोतरी शुरू हुई। अगस्त में खुदरा बाजार में कीमत बढ़ना शुरू होने के तुरंत बाद, केंद्र सरकार ने बिक्री कोटा में हस्तक्षेप किया। सरकार ने मिलों को अतिरिक्त 2 लाख टन चीनी कोटा आवंटित किया। अगर केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया होता तो चीनी की कीमतें प्रति और बढ़ती।