पुणे: महाराष्ट्र की चीनी मिलों ने गन्ना किसानों को 87 प्रतिशत उचित और पारिश्रमिक मूल्य (FRP) का भुगतान किया है और राज्य में कई मिलों को राजस्व वसूली प्रमाणपत्र (RRC) लागु हुआ है, जो FRP का भुगतान करने में विफल रहे हैं। मिलों द्वारा चीनी निर्यात को बढ़ावा देकर किसानों को पूरा भुगतान करने की उम्मीद है। बाजार के अनुसार, लगभग 43 लाख टन निर्यात करार पर पहले ही राज्यों के मिलों द्वारा हस्ताक्षर किए जा चुके हैं, जिनमें से महाराष्ट्र की मिलों ने लगभग 20 लाख टन के निर्यात करार पर हस्ताक्षर किए हैं।
चीनी मिलों ने 828 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पेराई की…
राज्य चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार,राज्य में चीनी मिलों ने 828 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पेराई की है, जिसके लिए उन्हें किसानों को, 18,221 करोड़ चुकाने है। 15 मार्च तक मिलों ने लगभग 15,836 करोड़ का भुगतान किया है, जो कि इस चीनी सीजन में कुल देय एफआरपी का 86.91 प्रतिशत है। चीनी मिलर्स का कहना है कि, अगले कुछ दिनों में 2,385 करोड़ का बकाया भुगतान किया जाएगा। 86 मिलों ने 100 प्रतिशत एफआरपी का भुगतान किया है, जबकि 65 ने एफआरपी का भुगतान 60-99 प्रतिशत एफआरपी के बीच किया है। गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 ने किसानों द्वारा आपूर्ति के 14 दिनों के भीतर गन्ना मूल्य का भुगतान करना अनिवार्य है। यदि मिलें निर्धारित समय में भुगतान करने में विफल रहती हैं, तो उन्हें देय राशि पर 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा।