महाराष्ट्र: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित गन्ना खेती परियोजना, माइक्रोसॉफ्ट प्रतिनिधिमंडल बारामती के दो दिवसीय दौरे पर

पुणे : बारामती में ढाई साल के प्रयोग से यह बात साबित हो चुकी है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए कृषि अर्थव्यवस्था की सूरत बदली जा सकती है। दुनिया की जानी-मानी कंपनियाँ माइक्रोसॉफ्ट और ऑक्सफोर्ड की मदद से कृषि विकास ट्रस्ट की ओर से चल रहे प्रोजेक्ट ‘फार्म ऑफ द फ्यूचर’ को लेकर माइक्रोसॉफ्ट कंपनी का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार और गुरुवार (18, 19) को दो दिनों के लिए बारामती का दौरा कर रहा है। आपको बता दे की, सपना नौहिरा, बारबरा टेरज़ीफ़, रजत अग्रवाल, निखिल मानेकर, प्रशांत मिश्रा, जॉन राइडर, मे यी चेन, पल्लवी वालिया, यशोधरा रॉय, अवंती श्रीनामे आदि माइक्रोसॉफ्ट, एग्रीपायलट, ट्राइफिल्म, क्लिक टू क्लाउड, प्रोवेज़ कंसल्टिंग जैसी कंपनियों के प्रतिनिधि आ रहे हैं।

कृषि विकास ट्रस्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित गन्ना खेती परियोजना शुरू की है, जो राज्य के एक हजार किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है। इसके माध्यम से उत्पादन को कम से कम चालीस प्रतिशत बढ़ाने और लागत को कम से कम बीस प्रतिशत कम करने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम चल रहा है, और इसमें अच्छी सफलता मिली है। सकाल मीडिया ग्रुप के चेयरमैन एवं संस्था के ट्रस्टी प्रतापराव पवार और ऑक्सफोर्ड के विशेषज्ञ डॉ. अजीत जावकर से चर्चा के बाद माइक्रोसॉफ्ट के साथ ऑक्सफोर्ड ने भी यहां काम करने की इच्छा जताई और आज यह प्रोजेक्ट साकार हो गया है।

इस शोध का निरीक्षण करने के लिए जोहान्सबर्ग के बिजनेस स्कूल के प्रमुख डॉ. रॅंडल कॅरोलिसन, डॉ. प्रशांत मिश्रा, माइक्रोसॉफ्ट के प्रबंध निदेशक डॉ. रणवीर चंद्रा, बिल गेट्स फाउंडेशन के सीईओ स्टुअर्ट कॉलिस जैसे गणमान्य लोग दौरा कर चुके हैं। संस्थान के सीईओ नीलेश नलावडे को ऑक्सफोर्ड ने विशेषज्ञ मार्गदर्शक के रूप में आमंत्रित किया है। बारामती की तकनीक को विश्व स्तर पर अपनाने के पीछे वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री तथा सांसद शरद पवार की दूरदृष्टि है।

AI बदल देगा तस्वीर…

इस प्रयोग से राज्य की गन्ने से आय 15 हजार करोड़ बढ़ने का अनुमान है। इस प्रयोग के पूरे देश में लागू होने के बाद उम्मीद है कि आय कई हजार करोड़ रुपये बढ़ जाएगी। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और उपग्रह प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग, प्लॉट मैपिंग, स्वचालित मौसम स्टेशनों और आईओटी सेंसर सिस्टम का उपयोग, उर्वरक प्रबंधन और सिंचाई प्रणालियों का वैज्ञानिक उपयोग, मिट्टी की उर्वरता और अन्य कारकों की नियमित निगरानी, प्रौद्योगिकी कीटों और बीमारियों के प्रसार को रोकने और फसलों पर जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक प्रभावों को कम करने के लिए एआई और उपग्रह का उपयोग किया जाएगा। गन्ने की खेती में गुणवत्तापूर्ण गन्ना नर्सरी प्रबंधन और उत्पादन वृद्धि के लिए उपग्रह प्रणाली आधारित समाधान योजना, कारण स्वचालित मशीन लर्निंग एल्गोरिदम तकनीक और वास्तविक समय निगरानी जैसी एआई तकनीक का उपयोग सीधे लागू किया जाएगा।

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