ठाणे: महाराष्ट्र के ठाणे जिले के खोपट इलाके के एक व्यापारी को यस बैंक ने 152 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए नोटिस भेजा है जबकि व्यापारी का कहना है कि उसने यस बैंक के साथ कभी काम नहीं किया है।
मुंबई मिरर की एक रिपोर्ट के मुताबिक सचिन तलवाडेकर नामक इस व्यापारी को पिछले साल सितंबर में यह नोटिस मिला। तलवाडेकर का कहना है कि वे पावर सप्लाई और बैक-अप इक्विपमेंट का काम करते हैं और उनकी कंपनी ग्लोबल टेक्नो इंडिया है, जो कि पावर बैक-अप सॉल्यूशन, यूपीएस, बैटरी, जनरेटर और इनवर्टर का कारोबार करती है। वे खोपट स्थित प्रभाती टॉवर में अपने फ्लैट से इसका काम करते हैं और उनका सालाना कारोबार सिर्फ 25 लाख रुपये है।
यस बैंक का नोटिस पाकर तलवाडेकर चौंक गए और उन्होंने यस बैंक द्वारा इसे वापस लेने के लिए जीतोड़ मेहनत की। उन्होंने बैंक को नोटिस वापस लेने के लिए कानूनी नोटिस भी भेजा है, जिसमें कहा गया है कि वह अपना नोटिस वापस ले ले। लेकिन बैंक ने इसका अबतक कोई जवाब नहीं दिया है।
उन्होंने कथित तौर पर बैंक के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्थानीय राबोडी पुलिस स्टेशन का दरवाजा खटखटाया है।नोटिस में कहा गया है कि उसे पूरी राशि का भुगतान सीधे एक डायोन ग्लोबल सॉल्यूशंस को करे जिससे उसने पैसे लिये है। तलवाडेकर का कहना कि उनका उक्त उल्लिखित फर्म से कोई लेना-देना नहीं है।बैंक का कहना है कि डायोन पर कुछ 152 करोड़ रुपये बकाया हैं और तलवाडेकर उक्त फर्म के कर्जदारों में से एक हैं। तलावडेकर ने कहा कि उन्होंने कभी भी डायोन या यस बैंक के साथ ऐसा कोई काम नहीं किया है।
नोटिस मिलने के बाद, तलवाडेकर ने ठाणे के तलाव पाली स्थित यस बैंक की स्थानीय शाखा में गये। बाद में उन्होंने राबोडी पुलिस स्टेशन का दरवाजा खटखटाया। पुलिस ने तलवाडेकर के साथ बैंक अधिकारियों की बैठक तय की। बैठक में बैंक के अधिकारियों ने उनसे सभी प्रासंगिक दस्तावेज ले लिए और उन्हें बताया कि वे अपने दिल्ली कार्यालय से इस बारे में संपर्क करेंगे, जिन्होंने नोटिस जारी किया है, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
राबोडी पुलिस स्टेशन से जुड़े एक पुलिस अधिकारी दीपक वरहाडे ने कहा कि बैंक अधिकारियों का दावा है कि आदमी को गलती से नोटिस भेजा गया है, इसलिए उसे चिंता करने की जरूरत नहीं है। गौरतलब है कि 5 मार्च को भारतीय रिजर्व बैंक ने संकट में फंसी यस बैंक के जमाकर्ताओं को केवल 50,000 रुपये प्रति जमाकर्ता ही निकासी करने का आदेश दिया था जिसे 18 मार्च को शाम 6 बजे हटा दिया गया।
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