पुणे : चीनी मंडी
महाराष्ट्र में चीनी उद्योग में गन्ना कटाई करनेवाले मजदूरों का एक बड़ा तबक्का है, उन्होंने सरकार और चीनी मिलों के सामने उनकी मांगे रखी है, यह मांगे गन्ना सिझन के शुरू होने से पहले अगर पूरी नही की तो उन्होंने हड़ताल पे जाने की धमकी दी है। राज्य के गन्ना कटाई मजदूरों की मांगे अगर पूरी नही हुई तो वे गुजरात और कर्नाटक की ओर रुख करने का भी डर है, जिसकी वजह से महाराष्ट्र के चीनी मिलों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
10.75 लाख हेक्टर क्षेत्र में गन्ना फसल
महाराष्ट्र में 1 अक्टूबर से कई चीनी मिलें अपना गन्ना क्रशिंग शुरू कर सकती है। चीनी आयुक्त के अनुमानों से, राज्य में 1,000 लाख टन गन्ना का क्रशिंग और 110-115 लाख टन चीनी उत्पादन होगा। सीजन की शुरुआत में मिलों को पहले कुछ महीनों के लिए कच्चे चीनी का उत्पादन करने की इजाजत मिल जाएगी, जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से निर्यात को बढ़ावा देना है। इस साल राज्य में गन्ना क्षेत्र में वृद्धि हुई है, करीबन 10.75 लाख हेक्टर क्षेत्र में गन्ना फसल है।
राज्य में 7-8 लाख गन्ना कटाई मजदूर
महाराष्ट्र के चीनी मिलों में गन्ना कटाई के लिए ज्यादातर मजदूर मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट्र से आते हैं। ये कटाई मजदूर आदिवासी समुदायों या ओबीसी वंजारी समुदाय से हैं। यह मजदूर राज्य के सूखे प्रवण क्षेत्रों से आते हैं और गन्ना कटाई से आनेवाली आय उनके कमाई का प्रमुख जरिया है। महाराष्ट्र में चीनी मिलों ने सीजन शुरू होने से पहलेही मजदूरों के साथ वार्ता शुरू की है। यह बातचीत ठेकेदारों या मुकादमों के माध्यम से की जाती है, जिसके तहत क्रशिंग सीझन शुरू होने से पहले मजदूरों को एडवांस में राशि का भुगतान किया जाता है। मजदूरों को प्रति टन गन्ने के हिसाब से भुगतान किया जाता है। इससे तकरीबन 7-8 लाख मजदूर जुड़ें है, जो चीनी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं।
गन्ना कटाई के लिए 400 रुपये प्रति टन की मांग
महाराष्ट्र गन्ना कटिंग एंड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष डी एल कराड ने कहा कि, हमारी संघठन जो सीपीआई (एम) द्वारा समर्थित भारतीय ट्रेड यूनियन (सीआईटीयू) से संबद्ध है, हमने महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिल्स फेडरेशन को आने वाली हड़ताल के बारे में पहले से ही एक नोटिस जारी कर दिया है। भुगतान में वृद्धि के साथ-साथ उनके लिए कल्याण बोर्ड के संविधान की मांग की है। वर्तमान के 198 रुपये प्रति टन से भुगतान में वृद्धि के लिए 400 रुपये प्रति टन की मांग की है।
कल्याण बोर्ड स्थापना की दीर्घकालिक मांग
कल्याण बोर्ड की स्थापना गन्ना मजदूरों की दीर्घकालिक मांग रही है, जो इस तरह के बोर्ड का दावा करते हैं कि इस क्षेत्र के लिए कल्याणकारी नीतियों को निर्देशित करने में मदद मिलेगी। कराड ने दावा किया कि, बार-बार मांग करने के बावजूद भी बोर्ड कार्यात्मक नहीं रहा है। उन्होंने कहा, “हमारी किसी भी मांग को पूरा करने के लिए संघ और राज्य सरकार की विफलता को ध्यान में रखते हुए, हमने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।” उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि फेडरेशन अगले हफ्ते जवाब देगा, अन्यथा मिलों को समस्या का सामना करना पड़ेगा।”
राज्य में 400 से अधिक गन्ना कटाई मशीनें
पिछले कुछ वर्षों में राज्य में गन्ना कटाई मजदूरों की कमी के चलते मशीनीकृत कटाई में वृद्धि हुई है। राज्य में 400 से अधिक ऐसी मशीनें हैं, जो गन्ना कटाई के लिए तैयार हैं। उद्योग सूत्रों ने संकेत दिया कि, इस साल लगभग 300 और ऐसी मशीनें बेड़े में जोड़ दी गई होंगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने ऐसी मशीनों की खरीद के लिए सब्सिडी को रोकने का फैसला लिया गया है, इससे ऐसी मशीन खरीदने में दिक्कत हो सकती है, 1 करोड़ रुपये या और उससे अधिक की कीमत की मशीन किसान अक्सर चीनी मिलों द्वारा काम की गारंटी के आधार पर खरीदते हैं।