मुंबई : चीनीमंडी
सीजन की शुरुआत में चीनी के निर्यात सौदों पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ, महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिलर्स फेडरेशन ने राज्य में मिलर्स से 2019-20 के आगामी सत्र में अधिक से अधिक चीनी निर्यात करने का आग्रह किया है। नेशनल फेडरेशन ऑफ़ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ भी मिलों के लिए चीनी के निर्यात की वकालत करती रही है क्योंकि देश में चीनी का विशाल भंडार बना हुआ है।
गौरतलब है कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने चीनी सीजन 2019-20 के दौरान अधिशेष स्टॉक को खाली करने के लिए चीनी निर्यात नीति को मंजूरी दी है। मोदी सरकार ने 2019-20 सीजन के लिए 6 मिलियन टन चीनी के निर्यात लिए आर्थिक मदद करने का फैसला किया है।
फेडरेशन ने मिलर्स को लिखे पत्र में कहा है कि, सरकार ने इस बार निर्यात पर आर्थिक मदद का दावा करने की प्रक्रिया को भी सरल बनाया है, जिससे भागीदारी को बढ़ावा मिलने की संभावना है। MAEQ कोटा का न्युनतम 50 प्रतिशत माल निर्यात करने के लिए चीनी मिलें जुट चुकी है, क्यूंकि इससे सरकार के तरफ से आर्थिक मदद मिलने में आसानी होगी। मिलों को आर्थिक मदद पाने के लिए MAEQ कोटा का न्यूनतम 50 प्रतिशत माल निर्यात करना होगा, तभी उन्हें 10,448 रूपये प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से आर्थिक मदद मिलेगी।
नेशनल फेडरेशन ऑफ़ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि, महासंघ मिलों से कच्ची चीनी के निर्यात के लिए आग्रह कर रहा है।
हालही में, महाराष्ट्र के चीनी मिलों ने 20,000 मीट्रिक टन के चीनी निर्यात के लिए श्रीलंका, यमन और सोमालिया में व्यापार सौदों पर हस्ताक्षर किए थे और गुरूवार को भारत-चीन व्यापार बैठक के मौके पर, चीन ने भारत के साथ 50,000 टन कच्ची चीनी खरीदने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।
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