अगले पेराई सीजन के पहले महाराष्ट्र के कई सहकारी चीनी मिलों के सामने वित्तीय संकट

मुंबई : कोरोना संकट के बाद अब चीनी मिलों का ध्यान 2020-21 सीजन के पेराई सत्र पर है लेकिन कई सहकारी चीनी मिलों के सामने वित्तीय संकट अभी भी खड़ी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 के गन्ना पेराई सत्र से पहले, महाराष्ट्र की 37 सहकारी चीनी मिलें अपना परिचालन शुरू करने के लिए बैंकों से पूंजी नहीं जुटा सकीं। महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ फेडरेशन के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगांवकर ने नाबार्ड से आग्रह किया है कि, ऐसी मिलों को अपने मौजूदा ऋणों का पुनर्गठन करके बैंकों से वित्त जुटाने की अनुमति दी जाए।

चीनी मिलें अपने क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर और अपने उपलब्ध संसाधनों (नेट डिस्पोजेबल रिसोर्स / NDR) को गिरवी रख कर बैंकों से कार्यशील पूंजी जुटाती हैं। बैंक उपलब्ध NDR / एनडीआर के अनुसार उधार देते हैं, और नकारात्मक एनडीआर / NDR के साथ मिलें बैंकों से कोई पूंजी नहीं जुटा पाएंगी क्योंकि उनके संसाधनों को पहले ही गिरवी रखा गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सहकारी मिलों के मामले में, 74 मिलों में से जो बैंक महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSC) के साथ हैं, उसमें से 37 मिलों ने नकारात्मक NDR की सूचना दी है। और इस तरह अगले पेराई सत्र के लिए यह नई पूंजी नहीं जुटाई जा सकेंगी।

नाबार्ड के नवनिर्वाचित अध्यक्ष जी. आर. चिंटाला के साथ अपनी बैठक के दौरान दांडेगांवकर और फेडरेशन के अन्य अधिकारियों ने बताया कि, अपने पुराने ऋणों के पुनर्गठन के बिना, यह मिलें अपना परिचालन शुरू करने के लिए कोई ऋण नहीं उठा पाएंगी। उन्होंने बताया कि, अगले सीजन में भी बम्पर गन्ने के उत्पादन की उम्मीद है, और 900-950 लाख टन गन्ने की पेराई के लिए उपलब्ध होने की उम्मीद है।

कोरोना वायरस संकट के कारण, मिलें अपने चीनी स्टॉक को बेचने में असमर्थ रही हैं और इससे उनके स्टॉक को बेचकर पूंजी जुटाने की क्षमता प्रभावित हुई है।

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