महाराष्ट्र: कम बारिश के कारण किसानों को नुकसान की आशंका

मुंबई/पुणे/सोलापुर: महाराष्ट्र के कई हिस्सों में बारिश की कमी के कारण, बुआई का काम या तो धीमा हो गया है या फसलें खराब होने की कगार पर हैं क्योंकि बुआई का समय पहले ही बीत चुका है। वर्तमान स्थिति का आकलन करने के बाद, महाराष्ट्र कृषि विभाग का मानना है कि खराब वर्षा गतिविधि के कारण राज्य में खरीफ फसल का उत्पादन प्रभावित होगा।

राज्य कृषि विभाग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 2023 के लिए खरीफ की बुआई 140.14 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो कि 99 प्रतिशत है। हालाँकि, मराठवाड़ा, उत्तरी महाराष्ट्र और कोंकण जैसे कई क्षेत्रों में बारिश की लंबी रुकावट के कारण फसलें लगभग क्षतिग्रस्त स्थिति में हैं और दोबारा बुआई संभव नहीं है।

हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक महाराष्ट्र के कृषि आयुक्त सुनील चव्हाण के मुताबिक, इस साल 1 जून से 30 अगस्त तक राज्य में 83 फीसदी बारिश हुई है। राज्य में 385 तालुका हैं, जहां पिछले 21 दिनों में शून्य वर्षा दर्ज की गई और 496 तहसीलों में पिछले 15 से 21 दिनों से कोई वर्षा गतिविधि नहीं हुई है।

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक विनय आवटी ने कहा, लगभग 99 प्रतिशत फसलों की बुआई हो चुकी है, लेकिन बारिश की गतिविधियों में रुकावट के कारण कई फसलें खराब होने की कगार पर हैं और खरीफ फसलों का उत्पादन कम होने की संभावना है।

महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने हाल ही में मराठवाड़ा में सूखे जैसी स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने कहा, मराठवाड़ा के आठ जिलों में से केवल नांदेड़ और हिंगोली में बेहतर बारिश हुई। मुंडे ने कहा, चूंकि कम बारिश हुई है, इसलिए विभाग को जल भंडारण पर नजर रखने और यहां तक कि चारा उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक योजना बनाने के निर्देश दिए गए है।

नासिक जिले के निर्वाचित प्रतिनिधियों ने राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल से मुलाकात की और सूखा घोषित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि नासिक, अहमदनगर, कोल्हापुर और पुणे जिले महाराष्ट्र में कई फसलों के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं, लेकिन यहां कम बारिश हुई है। सिन्नर विधायक माणिकराव कोकाटे ने हाल ही में विखे-पाटिल से मुलाकात की। उन्होंने कहा, नासिक जिले में, सिन्नर, निफाड, येवला, चांदवड, नादगांव, मालेगांव तालुका में कम बारिश हुई और संभावना है कि इससे सभी फसलें खराब हो जाएंगी।इगतपुरी तालुका के किसान संतोष कोल्पे ने कहा, कम बारिश या बारिश न होने के कारण चावल की फसल पहले ही खराब हो चुकी है।

 

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