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मुंबई : चीनी मंडी
केंद्र सरकार द्वारा मार्च 2019 के महीने के लिए 24.5 लाख मेट्रिक टन बिक्री कोटा घोषित किया गया, जो जनवरी और फरवरी मासिक कोटा से काफी जादा था। मार्च का कोटा बढ़ाने के बाद चीनी की कीमतों में दबाव देखा जा रहा है और बिक्री भी बिल्कुल ठप्प हो चुकी है। जनवरी की 13.35% की तुलना में फरवरी का कोटा 16.19% अधिक था। मार्च में तो इसमें काफी बढ़ोतरी की गई। इसके चलते महाराष्ट्र के चीनी मिलर्स द्वारा मार्च मासिक चीनी कोटा बिक्री करने के लिए समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है, ताकि चीनी बेचकर आर्थिक तंगी से निपटा जा सके।
कई मिलें ‘एमएसपी’ से कम दाम पर बेच रही हैं चीनी…
बाजार सूत्रों के अनुसार, अतिरिक्त कोटा मनोवैज्ञानिक रूप से केवल कीमतों को कम करने के लिए सहायता कर रहे हैं। वास्तव में, डीलर्स मिलों से कम कीमत पर चीनी खरीद रहे हैं और खुदरा व्यापार में उच्च मार्जिन पर बेच रहे हैं। इस प्रक्रिया में उपभोक्ताओं, साथ ही साथ चीनी उद्योग और किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। फेडरेशन ऑफ महाराष्ट्र स्टेट को-ऑप शुगर फैक्ट्रीज के ध्यान में यह भी आया है कि, कुछ मिलें, विशेषकर निजी क्षेत्र में, सरकार द्वारा घोषित ‘एमएसपी’ से भी कम पर चीनी बेच रही हैं। निजी मिलों की इस हरकत की वजह से दूसरी मिलों मिलों को नुकसान पहुंचा रहा है और किसानों के हितों को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
15 अप्रैल तक बढ़ाने समय बढ़ाने का अनुरोध…
महाराष्ट्र स्टेट को-ऑप शुगर फैक्ट्रीज़ फेडरेशन ने ‘डीएफपीडी’ से मार्च का कोटा 15 अप्रैल तक बढ़ाने का अनुरोध किया है, साथ ही मार्च और अप्रैल के लिए संयुक्त कोटा 35 लाख टन से अधिक नहीं होने देना चाहिए अर्थात मार्च के अनुपात के आधार पर अप्रैल कर लिए 17.5 लाख मेट्रिक टन कोटा मिलों के लिए राहत भरा कदम हो सकता है। फेडरेशन ने सरकार से ऐसे मिलों की पहचान करने के लिए भी अनुरोध किया है, जो ‘एमएसपी’ से नीचे के चीनी स्टॉक बेच रहे हैं, ऐसी मिलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए जो चीनी उद्योग के लिए डीएफपीडी द्वारा शुरू की गई योजनाओं के लिए पात्र हैं, जिसमे 2017-18 और एसएस 2018-19 में सी और इथेनॉल के लिए पात्र मिलें भी शामिल होने की आशंका हैं।
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