मुंबई / पुणे : चीनी मंडी
चीनी अधिशेष को कम करने के लिए इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन महाराष्ट्र में चीनी मिलों की इथेनॉल उत्पादन की अनुमति पेंडिंग है।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, महाराष्ट्र की 15 चीनी मिलें इथेनॉल का उत्पादन शुरू नहीं कर सकी हैं, क्योंकि राज्य में अब तक पूरी तरह से कैबिनेट का गठन नहीं हुआ है, जिसके कारण अनुमति मिलने की प्रक्रिया में देर हो रही है। इन मिलों ने अपने चीनी उत्पादन को कम करने के लिए गन्ने के रस को बी- हैवी मोलासेस से इथेनॉल उत्पादन में बदलने की योजना बनाई थी। शुक्रवार तक, 98 चीनी मिलों ने चालू सीजन के लिए महाराष्ट्र में अपना पेराई कार्य शुरू कर दिया है। लगभग 39.3 लाख टन गन्ने की पेराई की गई है और 3.29 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है।
देश में चीनी अधिशेष से निपटने के लिए सरकार ने मिलों को चीनी इथेनॉल में परिवर्तित करने की अनुमति दी है। हालही में केंद्र सरकार ने बी- हैवी मोलासेस वाले इथेनॉल की कीमतें 52.43 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 54.27 रुपये प्रति लीटर कर दी हैं और वही दूसरी ओर सी-हैवी मोलासेस वाले इथेनॉल की कीमत 43.46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 43.75 रुपये लीटर कर दी हैं। गन्ने के रस, चीनी, चीनी सीरप से सीधे बनने वाले इथेनॉल का भाव 59.48 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है।
मानदंडों के अनुसार, मिलों को गन्ना ज्यूस को बी- हैवी मोलासेस के तरफ डाइवर्ट करने से पहले एक्साइज मंत्री से अनुमति लेनी होती है। वर्तमान में, मुख्यमंत्री के कार्यालय में फाइल भेज दी गई है क्योंकि पूरी कैबिनेट को शपथ लेना बाकी है।
यह आशा की गई थी कि, इस कदम से चीनी अधिशेष में गिरावट आ जाएगी, और मिलों की वित्तीय स्वास्थ्य जो काफी तनाव में है, उसमे सुधार आएगा। हालांकि, राज्य में राजनीतिक अस्थिरता और पूरी तरह से कैबिनेट का गठन नहीं होने के कारण 15 मिलों की योजनाओं पर ब्रेक लगा दिया है, जो सीधे बी- हैवी मोलासेस से इथेनॉल का उत्पादन करने वाले थे।
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