कोल्हापुर: चीनी आयुक्तालय ने राज्य के चीनी उद्योग द्वारा सौर ऊर्जा उत्पन्न करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। चीनी आयुक्त डॉ. कुणाल खेमनार ने चीनी मिलों को सौर ऊर्जा उत्पादन परियोजनाएं शुरू करने के निर्देश दिए हैं।राज्य सरकार ने 2025 के अंत तक 25,000 मेगावाट क्षमता की गैर-पारंपरिक ऊर्जा परियोजनाओं को लागू करने का लक्ष्य रखा है।इसके अनुसार, कोल्हापुर डिवीजन में सांगली जिले की तीन चीनी मिलों ने सौर ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं पर काम शुरू कर दिया है।इसमें राजारामबापू पाटील, सोनहिरा चीनी मिल और एक अन्य मिल ने परियोजना की तैयारी शुरू कर दी है। वर्तमान में धाराशिव जिले में स्थित डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर सहकारी चीनी मिल ने सौर ऊर्जा उत्पादन में एक सफल कदम उठाया है।
पेरिस समझौते के अनुसार, भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय निर्धारित मानकों के अनुसार 2030 तक जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 40 प्रतिशत ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रतिबद्धता जताई है। केंद्र सरकार ने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के महत्व को देखते हुए यह योजना शुरू की है। इन परियोजनाओं के लिए मिलों को साढ़े तीन एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी।इसके लिए करीब चार करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। इससे 16 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होगा, और इसे महावितरण कंपनी को बेचा जा सकेगा।
वर्तमान में खोई को जलाकर होता है बिजली उत्पादन…
चीनी मिलों को वर्तमान में बिजली पैदा करने के लिए महंगी खोई जलानी पड़ती है। नए संयंत्रों को इस बिजली की बिक्री से प्रति यूनिट केवल 4.75 रुपये से 4.99 रुपये मिलते है। इसकी तुलना में सौर ऊर्जा परियोजना से उत्पादित बिजली की बिक्री से प्रति यूनिट 2.70 रूपये मिलेगे, लेकिन सौर ऊर्जा बनाने के लिए किसी कच्चे माल की आवश्यकता नहीं होती है।इसके लिए डेढ़ से चार एकड़ जमीन और चार करोड़ रुपये तक के निवेश की जरूरत होगी। अंबेडकर शुगर फैक्ट्री ने 10 एकड़ क्षेत्र में 5 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया है।