मुंबई : महाराष्ट्र में गन्ना पेराई सीजन अंतिम दौर में पहुंच चुका है, छह चीनी मिलों ने पेराई बंद कर दी है और अन्य मिलें अपना परिचालन बंद कर रही हैं।
द हिन्दू बिजनेस लाइन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, राज्य में निजी मिलों ने राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्रदान करने का आग्रह किया है क्योंकि अतिरिक्त गन्ने की पेराई उन पर वित्तीय बोझ डाल रही है। इस बीच राज्य सरकार ने एक बार फिर चीनी मिलों को सभी गन्ने की पेराई करने की चेतावनी दी है।
महाराष्ट्र के चीनी आयुक्तालय के आकड़ों के मुताबिक, 09 मार्च 2022 तक राज्य में 6 चीनी मिलों ने पेराई सत्र बंद कर दिया है। फिलहाल कोल्हापुर विभाग से 6 चीनी मिल बंद हुई है। चीनी आयुक्तालय के आकड़ों के मुताबिक, सीजन 2021-22 में 09 मार्च, 2022 तक महाराष्ट्र में कुल मिलाकर 197 चीनी मिलों ने पेराई में हिस्सा लिया। जिसमे 98 सहकारी एवं 99 निजी चीनी मिलें शामिल है, और 1012.07 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है। राज्य में अब तक 1044.06 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया गया है। राज्य में फ़िलहाल औसत चीनी रिकवरी 10.32 प्रतिशत है।
राज्य के सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल ने हाल ही में राज्य विधानसभा को बताया कि, बीड, जालना, परभणी और सतारा जिलों में गन्ने की भरमार देखी जाती है। पाटिल ने कहा, मैं आश्वासन देता हूं कि सभी गन्ने की पेराई की योजना बनाई जाएगी। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने मराठवाड़ा क्षेत्र की चीनी मिलों को क्षेत्र के किसानों को संकट से बचाने के लिए सभी उपलब्ध गन्ने की पेराई करने के निर्देश दिए है। चीनी उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि गन्ने का उत्पादन बढ़ा है, और इस सीजन में प्रति हेक्टेयर यह उत्पादन 125 टन प्रति एकड़ को पार कर गया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, निजी चीनी मिल संचालकों के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के साथ बैठक की। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि सरकार को अतिरिक्त गन्ने के कारण होने वाले परिवहन और अन्य खर्चों को कवर करने के लिए मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए।