पुणे : चीनी मंडी
महाराष्ट्र में निजी चीनी मिलें 1 नवंबर को 2019-20 सीज़न की शुरुआत की मांग कर रही हैं। वेस्टर्न इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (विस्मा) के अध्यक्ष बी. बी. थोंबरे ने कहा कि, सरकार ने पहले चीनी उद्योग से जुडे सभी हितधारकों से राय मांगी थी कि सीजन कब शुरू हो और ‘विस्मा’ ने कोल्हापुर, सतारा और सांगली में बाढ़ के चलते 1 नवंबर को सीजन की शुरुआत की सिफारिश की थी। पश्चिमी महाराष्ट्र में बाढ़ की वजह से गन्ने का अधिकांश भाग क्षतिग्रस्त हो गया है और इसका उपयोग जल्दी किया जाना चाहिए।”
थोंबरे ने आगे कहा की “मराठवाड़ा क्षेत्र की मिलें सूखे के प्रभाव से प्रभावित हो रही हैं और यहाँ अधिकांश गन्ने का उपयोग चारे के रूप में किया गया है। अगर मौसम जल्दी शुरू नहीं होता है, तो चारे के प्रति अधिक गन्ना इस्तेमाल होने की संभावना है। इसलिए, सहकारी मिलरों द्वारा 1 दिसंबर को सीजन शुरू करने के लिए सुझाए गए प्रस्ताव से मदद नहीं मिलेगी।”
थोंबरे ने कहा कि, मंत्रियों की समिति की बैठक में सीजन शुरू करने के बारे अंतिम निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि, चूंकि विधानसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लागू है, इसलिए चुनाव के बाद फैसला होने की संभावना है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 21 अक्टूबर को और मतगणना 24 अक्टूबर को होगी।
महाराष्ट्र में सहकारी चीनी मिलों ने पहले 1 दिसंबर को नए सत्र के लिए पेराई शुरू करने की मांग की थी। सातारा, सांगली, कोल्हापुर में बाढ़ से हुए नुकसान और मराठवाड़ा, अहमदनगर और सोलापुर में सूखे की स्थिति के कारण मिलर्स ने इस मांग को रखा था।
2019-20 का नया चीनी सीजन शुरू होने के कगार पर है और महाराष्ट्र में 56 चीनी मिलों के पास पिछले सीजन का अभी भी किसानों का 397.96 करोड़ रुपये गन्ना भुगतान बकाया है। कुल देय एफआरपी 23,293.82 करोड़ रुपये थी, जिसमें से मिलों ने अभी तक 22,915.62 रुपये (98.38%) का भुगतान किया है।
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