पुणे : राज्य में सहकारी और निजी चीनी मिलों ने अपना ध्यान एथेनॉल उत्पादन परियोजनाओं पर केंद्रित कर दिया है। चीनी उत्पादन की तुलना में एथेनॉल उत्पादन पर अधिक जोर दिया जा रहा है। वर्तमान में राज्य में 163 एथेनॉल उत्पादन इकाइयां कार्यरत है।
दैनिक सकाळ में प्रकाशित खबर के मुताबिक, इस रिपोर्ट की पुष्टि चीनी आयुक्तालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर की है। सभी परियोजनाओं से प्रतिवर्ष लगभग 244 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन हो रहा है। इससे यह स्पष्ट है कि, राज्य में चीनी उद्योग अब ईंधन उत्पादन की ओर अग्रसर है।
पिछले दो वर्षों के उत्पादन की तुलना में पिछले वर्ष एथेनॉल का उत्पादन 18 करोड़ लीटर बढ़ गया है। दो साल पहले राज्य में 226 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन हुआ था।वही उत्पादन पिछले साल (2022-2023) 244 करोड़ लीटर रहा है।चालू वित्त वर्ष में इथेनॉल का औसत उत्पादन पिछले साल के बराबर ही रहा है।
इस साल गन्ने की कटाई के मौसम के दौरान, सभी चीनी मिलों ने एथेनॉल उत्पादन के लिए कुल 16 लाख टन चीनी रखी है।इसके चलते इस साल एथेनॉल का उत्पादन रिकॉर्ड ऊंचाई पर रहा है।पहले केवल चीनी मिलों में ही चीनी का उत्पादन होता था। अब बिजली, डिस्टिलरी, एथेनॉल, बायोगैस आदि सहित लगभग 35 उप-उत्पादों का उत्पादन संभव है।
सोयाबीन के बाद गन्ना राज्य की तीसरी सबसे बड़ी फसल है। फैक्टरियों की रैंकिंग से गन्ना किसानों के लिए अनुकूल माहौल बना है।एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने के बाद गैसोलीन का उत्पादन होता है। अनुमान है कि, अगले चार से पांच वर्षों में गैसोलीन की खपत बढ़ जाएगी।