महाराष्ट्र: एकमुश्त एफआरपी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है राज्य सरकार

मुंबई: राज्य सरकार गन्ने के लिए एकमुश्त एफआरपी प्रदान करने के बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देगी। सहकारिता विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि, भले ही अभी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर नहीं की गई है, लेकिन एकमुश्त एफआरपी देने के हाईकोर्ट के आदेश का तब तक पालन किया जाना चाहिए, जब तक वहां अंतिम फैसला नहीं आ जाता। दिलचस्प बात यह है कि, भले ही यह आदेश सीजन खत्म होने के बाद जारी किया गया हो, लेकिन जिन फैक्ट्रियों द्वारा किस्तों में एफआरपी दी गई थी, उन्हें किसानों को ब्याज सहित पैसा चुकाना होगा। केन्द्र सरकार के गन्ना मूल्य नियंत्रण अधिनियम के अनुसार गन्ना उत्पादकों को एकमुश्त एफआरपी का भुगतान करना होता है। हालांकि, राज्य सरकार ने 21 मार्च, 2022 को एफआरपी को एकमुश्त के बजाय दो चरणों में लागू करने का निर्णय लिया था।

एफआरपी की पहली किस्त, उप-उत्पाद की बिक्री और अन्य कारकों का मूल्यांकन करके, पिछले सीजन के उत्पादन को ध्यान में रखते हुए, अंतिम दर, यानी दूसरी किस्त का भुगतान करने की पद्धति को सरकारी आदेश द्वारा लागू किया गया था। हालांकि, पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने इस सरकारी आदेश के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि यह केंद्र सरकार के गन्ना मूल्य नियंत्रण अधिनियम का उल्लंघन है।इसके बाद आदेश दिया गया कि केंद्र सरकार के गन्ना मूल्य नियंत्रण अधिनियम के अनुसार एकमुश्त एफआरपी का भुगतान किया जाए।

अब राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी और सरकार के फैसले में कहा गया है कि, दो चरणों में एफआरपी उपलब्ध कराने के आदेश को रद्द किया जा रहा है, जो वहां के अंतिम निर्णय के अधीन है। सहकारिता विभाग ने अपील दायर करने के संबंध में विधि एवं न्याय विभाग को पत्र भेजा है तथा अपील दायर की जाएगी। हालांकि, अपील दायर करने से पहले ही सरकारी आदेश में कहा गया था कि, दो चरणों में एफआरपी प्रदान करने का निर्णय रद्द किया जा रहा है, जो सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय के अधीन है।

‘चीनीमंडी’ से बात करते हुए पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि, जैसा कि हम जानते हैं कि राज्य सरकार किसान विरोधी और चीनी मिल मालिक समर्थक है, मैंने हाईकोर्ट का फैसला आते ही कैविएट दायर कर दिया है। इसलिए सरकार चाहे जितनी भी कमियां निकालने की कोशिश करें, हम सरकार को नहीं छोड़ेंगे। केन्द्र सरकार के कानूनों का पालन किया जाना चाहिए। चाहे कुछ भी हो जाए, हम प्रदेश के लाखों गन्ना किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।

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