पुणे: राज्य में गन्ना हारवेस्टर सहायता योजना के तहत सब्सिडी वितरण शुरू हो गया है, पहले चरण में पांच आवेदकों को डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी दी गई है। राज्य सरकार ने हार्वेस्टर की कीमत 40 प्रतिशत या अधिकतम 35 लाख की सब्सिडी देने की योजना की घोषणा की है। अब सब्सिडी वितरण वास्तव में शुरू हो गया है। चीनी आयुक्तालय के सूत्रों ने बताया कि, पहले चरण में पांच लोगों को सब्सिडी दी गई है।
पहले चरण में, हिराबाई सुळ (माळेवाडी, ता. फलटण, जि. सातारा), इवले ओव्हरसिज(वरखेड, ता. नेवासा, जि.नगर), प्रमोद गोंडाळ(चास, ता.जि. नगर), सचिन शिरसाठ (ब्राह्मणी, ता.राहुरी, जि.नगर) व तलमिस शेख(शेवगाव, ता.शेवगाव, जि.नगर) इन पांच आवेदकों के बैंक खातों में लगभग 34 लाख रुपये की अनुदान राशि जमा कर दी गई है। अब मशीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आने वाले सीजन में अनुदान वितरण में तेजी आने की संभावना है।
गन्ना हारवेस्टर से क्या होगा?
पिछले कुछ वर्षों से राज्य का चीनी उद्योग गन्ना काटने वाले मजदूरों की कमी से जूझ रहा है। परिणामस्वरूप, कटाई का मौसम लंबा होता जा रहा है। किसानों को अपने खेतों से गन्ना फैक्ट्री तक ले जाने तक कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार किसानों की कठिनाइयों का फायदा उठाकर ‘खुशी’ के नाम से प्रति एकड़ 3 से 4 हजार रुपये तक का शुल्क लिया जाता है। अब गन्ना काटने की मशीन से मजदूरों की कमी की समस्या कुछ हद तक कम हो जाएगी।
मशीनीकृत गन्ना कटाई समय की मांग: समरजितसिंह घाटगे
‘चीनी मंडी’ के साथ बातचीत में कोल्हापुर में शाहू ग्रुप के प्रमुख समरजितसिंह घाटगे ने कहा कि, चीनी उद्योग को समय के अनुसार बदलना बहुत जरूरी है। राज्य की कई चीनी मिलें मजदूरों की कमी से जूझ रही हैं। मजदूरों की कमी पेराई मौसम को प्रभावित करती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जब से केन कटर से गन्ना कटाई शुरू हुई है, चीनी उद्योग श्रमिकों की कमी को दूर करने में कुछ हद तक सफल हुआ है। राज्य में बड़ी संख्या में छोटी जोत वाले किसान हैं।उनके खेतों में गन्ना काटने के लिए छोटे आकार के हार्वेस्टर की आवश्यकता होती है। ऐसी मशीनों के विकसित होने के बाद चीनी मिलों के साथ-साथ किसानों को भी अधिक फायदा होगा।