गन्ना किसान चाहते हैं कि, चीनी मिलें कानूनी तौर पर उचित और पारिश्रमिक मूल्य (FRP) का एकमुश्त भुगतान करें, लेकिन कई चीनी मिलों ने ऐसा करने में असमर्थता व्यक्त की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी मिलों ने अधिशेष चीनी स्टॉक, सरकार की निर्यात नीति की घोषणा में और निर्यात सब्सिडी में देरी का हवाला देत्वे हुए एकमुश्त एफआरपी भुगतान करने में असमर्थता व्यक्त की है। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन द्वारा आंदोलन के बाद, कोल्हापुर और सांगली जिले की चीनी मिलों ने एकमुश्त एफआरपी देने पर सहमति जताई है, लेकिन राज्य के अन्य हिस्सों की मिलों ने अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। कई चीनी मिलर्स ने राज्य सहकारी बैंक की ऋण नीति पर भी सवाल उठाए हैं और चेतावनी दी है कि, मिलों को सहायता प्रदान करने में देरी हुई तो फिर एफआरपी भुगतान में भी देरी होगी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में 2019-20 सीजन में मिलों ने केवल 33.96 करोड़ बकाया के साथ 99.76 प्रतिशत एफआरपी का भुगतान किया है। पिछले साल, किसान संगठनों ने एफआरपी की मांग करते हुए आंदोलन चलाया था। स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि, मिलों को किसानों को एककिश्त में एफआरपी देना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि, जो मिलें मांग को मानने से इनकार करते हैं, उनका पेराई सीजन बीच में ही रोक देंगे।