कोल्हापुर : पेराई सत्र शुरू होने के लगभग बीस दिन बाद भी, सांगली और कोल्हापुर में चीनी मिलों ने अभी तक गति नहीं पकड़ी है क्योंकि पूर्व सांसद राजू शेट्टी के नेतृत्व में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन का आंदोलन लगातार जारी है। क्षेत्र की मिलों को डर है कि, अगर आंदोलन लंबा खिंचा तो उनके उपलब्ध गन्ने में नुकसान हो जाएगा।
सोमवार तक, महाराष्ट्र में 143 मिलों ने परिचालन शुरू कर दिया है। मौजूदा आंदोलन के केंद्र कोल्हापुर और सांगली में 19 मिलों के संचालन की सूचना है, जिनमें से अधिकांश अपनी स्थापित क्षमता से कम पर काम कर रही हैं। राजू शेट्टी और उनके संगठन ने घोषणा की है कि अगर मिल मालिकों द्वारा पिछले सीज़न के गन्ने के लिए प्रति टन 400 रुपये और इस सीजन के लिए प्रति टन 3500 रुपये के पहले किश्त की उनकी मांग पूरी नहीं की गई, तो वे गन्ने के परिवहन या कटाई की अनुमति नहीं देंगे। संगठन ने रविवार को दोनों जिलों के विभिन्न इलाकों में यातायात रोक दिया था और शेट्टी ने यह भी कहा है कि, वे 23 नवंबर को एनएच 4 पुणे-बेंगलुरु राजमार्ग पर यातायात रोक देंगे।
इस बीच कोल्हापुर के हातकणंगले और शिरोल तालुका में मिलों ने आंदोलन का समाधान नहीं होने तक पेराई शुरू नहीं करने का फैसला किया है। हालांकि, मिलों को डर है कि कर्नाटक की मिलें उनके क्षेत्र का गन्ना ले जाएँगी। साथ ही बहु-राज्य सहकारी मिलें, जो अपना लगभग 30 प्रतिशत गन्ना पड़ोसी राज्य से प्राप्त करती हैं, उन्हें डर है कि वे समय पर गन्ने की कटाई और खरीद नहीं कर पाएंगी।
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक, कोल्हापुर के एक मिल मालिक ने कहा, यह सीज़न छोटा है। सूखे के कारण गन्ने का उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम है, और अगर आंदोलन जारी रहा तो हमें सीमा पार कर्नाटक की मिलों को अपना गन्ना खोना पड़ेगा। कर्नाटक के बेलगावी जिले की कई मिलों ने पहले से ही किसानों से अपना गन्ना बेचने के लिए संपर्क करना शुरू कर दिया है।
कोल्हापुर में सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि, राज्य सरकार मौजूदा आंदोलन से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढने की कोशिश कर रही है। शेट्टी और उनके संगठन ने कहा है कि, वे अपने क्षेत्र की मिलों को तब तक चलने नहीं देंगे जब तक कि अधिक भुगतान की उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। मिलों ने अपनी ओर से कहा है कि, वे इन मांगों को पूरा करने की स्थिति में नहीं हैं।