कोल्हापुर: द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, राज्य चीनी आयुक्त कार्यालय ने पुणे और नासिक डिवीजनों के लिए उच्चतम दर आवंटित करते हुए सभी पांच राजस्व प्रभागों के लिए आधार चीनी रिकवरी दर तय की है। मिलें बेसिक रिकवरी दर के आधार पर किसानों को भुगतान करती हैं। चीनी रिकवरी दर एक टन या क्विंटल गन्ने की पेराई कर उत्पादित चीनी की मात्रा है। प्रदेश में पुणे, नासिक, छत्रपति संभाजीनगर, अमरावती और नागपुर में पांच राजस्व मंडल हैं। इस पेराई सत्र के लिए पुणे और नासिक डिवीजनों के लिए रिकवरी दर 10.25% होगी, जबकि शेष तीन डिवीजनों के लिए 9.50% होगी।
पुणे और नासिक डिवीजनों की मिलों को इस न्यूनतम रिकवरी दर के आधार पर गन्ना किसानों को उचित और लाभकारी मूल्य का भुगतान करना होगा। इसके मुताबिक, इन दोनों डिवीजनों की मिलों को किसानों को 3,150 रुपये प्रति टन का भुगतान करना होगा, जबकि तीन अन्य डिवीजनों की मिलों को 2,920 रुपये प्रति टन का भुगतान करना होगा।
कोल्हापुर स्थित चीनी उद्योग विशेषज्ञ विजय औताडे ने कहा, दक्षिण महाराष्ट्र क्षेत्र की मिलें तय एफआरपी से अधिक भुगतान करती हैं। यहां, चीनी रिकवरी दर आम तौर पर 12% से ऊपर है। मिलों को बैंकों पर बहुत अधिक निर्भर रहना पड़ता है। किसानों को भुगतान करने के लिए उत्पादित चीनी की मात्रा दिखाकर कर्ज लेना पड़ता है।
औताडे ने बताया कि नियमों के अनुसार, यदि वास्तविक चीनी रिकवरी दर बेसिक रिकवरी दर से अधिक है, तो मिलों को किसानों को अतिरिक्त राशि देनी होगी। वास्तविक चीनी रिकवरी की गणना के लिए पेराई सत्र के अंत में मिलों का ऑडिट किया जाता है।