महाराष्ट्र के सहकारिता और विपणन मंत्री बालासाहेब पाटिल ने गन्ना किसानों का शोषण करने पर चीनी मिलों को लाइसेंस रद्द करने सहित कठोर दंड की चेतावनी दी है।
मंत्री ने कहा की बाढ़ और चक्रवात ने फसलों को प्रभावित किया है। किसान तनाव और आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। इसलिए मुकादमों (एजेंटों) से किसानों का कोई शोषण या धमकी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इससे सख्ती से निपटा जाएगा। चीनी मिलों को ध्यान देना चाहिए। या फिर उन्हें लाइसेंस रद्द करने सहित अन्य दुष्परिणामों का सामना करना पड़ेगा।
चीनी मिलों को यह चेतावनी गन्ना किसानों की उन एजेंटों द्वारा उत्पीड़न की शिकायतों के बाद आई है, जिन्होंने उनसे कथित तौर पर पैसे वसूले हैं।
आपको बता दे, गन्ना काटने के लिए मजदूरों को नियुक्त करने का ठेका एजेंटों के पास होता है। चीनी मिलें खेतों से चीनी मिलों तक गन्ने की ढुलाई के लिए श्रम शुल्क, परिवहन लागत का खर्च वहन करती हैं। नियमों के अनुसार, एजेंटों को किसानों से पैसे नहीं मांगना चाहिए।
हालांकि, ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जहां एजेंटों ने गन्ना काटने के लिए पैसे मांगने वाले किसानों के साथ सौदेबाजी की। कारण बताया गया था कि उनके क्षेत्र तक पहुंच खराब थी और इसके लिए अतिरिक्त परिवहन व्यय की आवश्यकता होगी।
इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने कहा: “हमें किसानों से शिकायतें मिली हैं। हमें किसी भी कीमत पर किसानों के शोषण को रोकना है। हमने किसानों से सीधे ग्रामपंचायत कार्यालयों में ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने का आग्रह किया है।”
इसके अलावा, सहकारिता और विपणन मंत्रालय ने भी कड़ी निगरानी रखने का फैसला किया है। चीनी मिलों के संचालन की निगरानी के लिए हर जिले में एक कृषि अधिकारी की भर्ती की गई है। सहकारिता मंत्री ने किसानों से घबराने की भी अपील की।