मुंबई: चीनी उत्पादन में अपना प्रभुत्व कायम रखने के लिए महाराष्ट्र गन्ने की नई किस्मों को विकसित करने की कोशिश कर रहा है। पुणे के वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट (वीएसआई) में गन्ने की नई वेरायटी Co 18121 विकसित की जा रही है। इंस्टिट्यूट के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार इस वेरायटी में रिकवरी रेट 12.60% से लेकर 13.10% तक और उत्पादकता प्रति हेक्टर 155 टन हो सकती है जो पिछली वेरायटी से लगभग 25 टन अधिक होगी।
वीएसआई का नेतृत्व पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार कर रहे हैं। पवार गन्ने की नई वेरायटी विकसित करने पर जोर दे रहे हैं ताकि महाराष्ट्र गन्ने के क्षेत्र में अपने एकाधिकार के वर्चस्व को कायम रख सके। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में महाराष्ट्र को पछाड़ कर उत्तर प्रदेश गन्ने के उत्पादन में काफी आगे निकल गया है। वहां की वेरायटी Co-0239 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के गन्ना प्रजनन संस्थान के निदेशक बख्शी राम द्वारा विकसित गया था। संस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि महाराष्ट्र में मिलें नई गन्ने की किस्मों की मांग कर रही हैं, जो न केवल बेहतर उत्पादन स्तर पर बल्कि बेहतर चीनी रिकवरी स्तर भी प्रदान करे।
संस्थान द्वारा विकसित एक और गन्ने की किस्म VSI 08005 को वर्ष 2018 में राज्य में पेश किया गया। यह वेरायटी अपने सूखा प्रतिरोधी गुणों के लिए जाना जाता है और यह मराठवाड़ा के किसानों में बहुत लोकप्रिय है।
Co 18121 गन्ना Co 86032 और CoT 8021 का एक संयोजन है। गन्ने की वेरायटीज को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और वीएसआई वर्ष 1987 से संयुक्त रूप से विकसित करते आ रहे हैं। Co 18121 गन्ना वेरायटी पर पिछले 5 वर्षों से शोध चल रहा है। हापसे ने कहा कि यह नई किस्म उत्पादकता और रिकवरी के मामले में भी Co 86032 से काफी आगे है। फिलहाल इसका विभिन्न चीनी मिलों में परीक्षण किया जा रहा है। फ़िलहाल वीएसआई गन्ने की कई किस्मों पर काम कर रहा है।
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