पुणे : चीनी मंडी
अधिशेष चीनी का ढेर और लॉकडाउन के चलते ठप हुई बिक्री के बावजूद महाराष्ट्र की चीनी मिलों ने किसानों के गन्ने का भुगतान करने की कोशिश जारी रखी है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र में चीनी मिलों ने अब तक 95 प्रतिशत एफआरपी भुगतान करने में कामयाबी हासिल की है। 2019 – 2020 पेराई सीजन में मिलों ने किसानों से 549.98 लाख टन गन्ना खरीदा था। 15 मई तक, फेयर एंड रेमुनरेटिव प्राइस (FRP) 13,121.69 करोड़ रुपये है, जिसमें से 12,548.30 करोड़ का भुगतान किया गया है।
अधिशेष चीनी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए मिलों को अब गन्ने से इथेनॉल उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने को कहा जा रहा है। कोरोना संकट ने चीनी उद्योग को बड़ा परेशान किया है लेकिन इसके बावजूद चीनी मिलें इस संकट का सामना कर गन्ना पेराई में जुटी रही और अब महाराष्ट्र में गन्ना पेराई लगभग खतम हो चूका है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार, महाराष्ट्र में, 15 मई 2020 तक 60.87 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ था, जबकि पिछले साल की 2018-19 सीजन में उत्पादित 107.15 लाख टन की तुलना में लगभग 46.3 लाख टन कम है। वर्तमान पेराई सीजन में, 145 मिलों ने पहले ही राज्य में अपने पेराई कार्यों को बंद कर दिया है और केवल 1 चीनी मिल चल रही है, जबकि पिछले वर्ष इसी तारीख को, पेराई सीजन 30 अप्रैल 2019 को ही समाप्त हो गया था।
इस सीजन कुल 146 चीनी मिलों ने गन्ना पेराई में भाग लिया था। इस सीजन राज्य की चीनी मिलों को सूखे और बाढ़ का सामना करना पडा था जिसके चलते चीनी उत्पादन में कमी आई है।
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