कोल्हापुर: महाराष्ट्र के पुणे, सांगली, सतारा और कोल्हापुर जिलों में भारी बारिश ने कहर ढाया है और गन्ने की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया। और अब, राज्य कृषि विभाग और चीनी आयुक्त कार्यालय के आंकडे बताते है कि 8.43 लाख हेक्टेयर से 570 लाख मीट्रिक टन गन्ना 2019-20 के पेराई सत्र के लिए उपलब्ध होगा।
रिपोर्टों के अनुसार, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में मॉनसून की बारिश ने भारी तबाही मचाई है, जिसके बाद 4.7 लाख से अधिक लोगों को राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया।
बाढ़ ने राज्य में कई हजार हेक्टेयर पर फसलों को नुकसान पहुंचाया है। अन्य फसलों की तरह, अत्यधिक जलभराव से गन्ने को भी नुकसान हुआ है। इसलिए ऐसी उम्मीद है की इसका असर राज्य में चीनी उत्पादन पर हो सकता है।
सीजन 2019-2020 में राज्य का चीनी उत्पादन लगभग 70 से 75 लाख टन रहने की उम्मीद थी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बाढ़ के बाद यह 12 से 15 प्रतिशत तक गिर सकता है। गन्ने की कम उपलब्धता के कारण पेराई अवधि पर भी इसका असर पड़ेगा। अनुमान है कि पेराई अवधि 160 दिन से घटाकर लगभग 130 दिन हो सकती है।
हमारे ग्राउंड रिपोर्टर्स गन्ने की फसलों के नुकसान के आकलन पर काम कर रहे है। एक बार, पानी का स्तर कम हो जाता है, तो नुक्सान कितना है इसको लेकर स्पष्ट तस्वीर सामने आ जायेगी। और इसका चीनी उत्पादन पर कितना असर होगा यह भी साफ़ हो जाएगा। यह भी संभावना है कि उत्पादन में गिरावट के कारण बाजार में चीनी की कीमतें बढ़ सकती हैं।
गन्ने और अन्य फसलों के किसानों के बारे में बात की जाए तो वे सदमे की स्थिति में हैं और अब अपने जीवन को वापस से पटरी पे लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
उद्योग निकायों और राजनीतिक दलों ने भी स्थिति का आकलन किया है और दावा किया कि बाढ़ से उद्योगों के बंद होने और फसलों के गंभीर नुकसान से कम से कम 10,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है।
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