कानपुर: श्री महेंद्र कुमार यादव को “रॉ शुगर से रिफाइंड शुगर के निर्माण मे डी-कलर एजेंट के रूप मे पाउडर एक्टिव कार्बन का उपयोग” विषय पर उनके नवीनतम अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के शर्करा प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम का फ़ेलोशिप अवार्ड प्रदान किया गया। उन्होने यह अनुसंधान विगत तीन वर्षों के दौरान राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर के निदेशक के मार्गदर्शन मे पूरा किया है।
वर्तमान मे भारत स्थित शर्करा रिफाइनरियों मे आयन-एक्सचेंज रेसिन विधि से रॉ शुगर के घोल का रंग कम किया जाता है। इस विधि मे बड़े पैमाने पर खारा जल तैयार होने के कारण यह विधि पर्यावरण अनुकूल नहीं मानी जाती। इस संबंध मे राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर के निदेशक ने कहा कि इसमे उत्पन्न खारे जल का शोधन और निस्तारण ही एक बड़ी समस्या है। इसके स्थान पर पाउडर एक्टिव कार्बन के उपयोग के लिए मानकों के निर्धारण पर अध्ययन किया गया। अध्ययन मे यह पाया गया कि यह विधि शर्करा उद्योग के लिए बड़े पैमाने पर लाभप्रद सिद्ध होगी क्योंकि भारतीय शर्करा उद्योग अंतर्राष्ट्रीय बाजार मे बेहतर आर्थिक लाभ तथा पेय और फार्मा-शुगर उद्योग की मांग के अनुरूप आपूर्ति के लिए धीरे-धीरे रॉ-रिफाइंड शुगर के उत्पादन की ओर बढ़ रही है।