मंड्या, कर्नाटक: जिले के किसानों की जीवन रेखा समजी जानेवाली मैसूरु शुगर (मायशुगर) मिल को फिर से शुरू करने के कोई भी संकेत नही मिल रहें है। जिसके कारण मंड्या के किसान अपना गन्ना तमिलनाडु के चीनी मिलों को भेज रहें है। गन्ने से लदे ट्रक सड़कों पर दौड़ना जिले का एक आम दृश्य बन गया है, तमिलनाडु के मिलों द्वारा नियुक्त एजेंट किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए मना रहें हैं। जहां कुछ निजी चीनी मिलों ने पेराई शुरू कर दी है, वहीं कुछ सहकारी मिलें पेराई शुरू करने की तैयारी कर रही हैं। जिले में पेराई के लिए लगभग 50 लाख टन गन्ना उपलब्ध है। उसमें से लगभग 30 लाख टन फसल के लिए तैयार है। केआर पेट के कोरोमंडल चीनी मिल और मद्दुर में एनएसएल और चामुंडेश्वरी मिल में पहले ही सीजन शुरू हुआ है। पांडवपुरा सहकार चीनी मिल (PSSK) को निरानी शुगर्स को लीज पर दिया गया है और 11 अगस्त तक क्रशिंग फिर से शुरू होने की संभावना है ।
ऑपरेशन और प्रबंधन (ओ एंड एम) प्रणाली के तहत, मायशुगर मिल को फिर से शुरू करने की तैयारी चल रही है। लेकिन, मंड्या, पांडवपुरा और श्रीरंगपट्टन तालुकों में उगाए गए गन्ने को तमिलनाडु के शक्ति शुगर और प्यारी चीनी मिल में ले जाया जा रहा है। जिला प्रशासन ने पिछले साल अन्य जिलों और राज्यों में गन्ने के परिवहन की व्यवस्था की थी, क्योंकि विभिन्न कारणों से मांड्या जिले में चीनी मिलें बंद थी।
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