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चेन्नई : चीनीमंडी
तमिलनाडु में नकदी की तंगी के कारण चीनी मिलें 4,500-5,000 करोड़ के बैंक ऋण के बोझ के निचे दब गई है, जो ज्यादातर सूचीबद्ध कंपनियां है। कर्ज में डूबी मिलों पर जल्द ही बैंकों द्वारा दिवालिया होने की कार्यवाही होने की सम्भावना हैं। मिलों ने अभी तक गन्ना किसानों का 500 करोड़ का एफआरपी का भुगतान भी नही किया है और इसके चलते प्रदेश के परेशान गन्ना किसान आंदोलन करने लगे हैं।
तमिलनाडु में सूखे ने गन्ने के उत्पादन को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप मिलें अपनी क्षमता के केवल 30 प्रतिशत काम कर रही है। यह अन्य राज्यों के अधिशेष गन्ना उत्पादन के विपरीत है। राज्य की अग्रणी चीनी मिल के प्रतिनिधि ने कहा की, 25 निजी क्षेत्र की चीनी मिलों में से कम से कम 14 मिलें गंभीर आर्थिक संकट में हैं। गन्ने की कमी और वित्तीय संकट के कारण, एक सूचीबद्ध कंपनी ने अपनी कोई भी मिल संचालित नहीं की है। किसानों के प्रतिनिधियों के अनुसार, कई मिलों वाली अधिकांश कंपनियां अपनी सभी मिलों को संचालित करने में सक्षम नहीं हैं।
चीनी कंपनियों ने ऋणों को पुनर्निर्धारित करने, कार्यशील पूंजी की व्यवस्था करने और दिवाला कार्यवाही से बाहर रहने के लिए बैंकों से संपर्क किया है। चीनी उद्योग प्रतिनिधियों ने कहा कि, गैर-प्रदर्शनकारी घोषित होना बैंकों, चीनी मिलों या तीन लाख किसानों के हित में नहीं है। चालू सीजन में तमिलनाडु का चीनी उत्पादन लगभग 24 लाख टन (2011 – 2012) से गिरकर लगभग 6.5 लाख टन हो गया। चीनी उद्योग के एक प्रतिनिधि ने कहा कि, उत्पादन क्षमता में लगभग 30 प्रतिशत की कमी, प्रति किलोग्राम चीनी की लागत अन्य राज्यों की मिलों की तुलना में कम से कम 10 प्रतिशत अधिक है।