पुणे: चीनी मंडी
जो चीनी मिलें किसानों का एफआरपी भुगतान तय समय पर नही करेंगी, उन्हे 2019-2020 के लिए पेराई लाइसेंस नही देने का फैसला राज्य सरकार ने किया है। इस फैसले के कारण कई मिलें पेराई लाइसेंस प्राप्त करने में नाकाम रह सकती है, जिसका सीधा असर पेराई और चीनी उत्पादन पर पड सकता है। राज्य में कुल 130 निजी और सहकारी चीनी मिलों ने एफआरपी का पुरा भुगतान किया है, जबकि 65 मिलों द्वारा एफआरपी भुगतान बाकी है।
खबरों के मुताबिक, 65 में से बहुत कम चीनी मिलें एफआरपी भुगतान करने की वित्तीय स्थिति में हैं। सरकार ने गन्ना नियंत्रण अधिनियम के तहत भुगतान में नाकाम मिलों को 2018-19 पेराई सत्र में विफल रहने के लिए राजस्व वसूली अधिनियम के तहत पहले ही नोटिस दिया है। सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मील फेडरेशन के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगांवकर ने स्वीकार किया कि, इस निर्णय से अगले पेराई सत्र में चीनी मिलों की संख्या में कमी आएगी। दांडेगांवकर ने कहा कि, चीनी उद्योग पहले ही संकट से गुजर रहा है। एक चीनी मिल को 12 महीने तक चलाया जाना चाहिए, लेकिन वास्तविकता में यह अधिकतम चार महीनों के लिए चल रही है।
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