पटना: बिहार की राजनीती में अब चीनी मिलों का मुद्दा काफी गरमाया है।सत्ताधारी भाजपा ने राजद-कांग्रेस के शासनकाल में बंद पड़ी चीनी मिलों का मुद्दा उठाकर उन्हें घरने की कोशिश शुरू कर दी है। स्वास्थ्य एवं विधि मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि, राजद-कांग्रेस के शासनकाल(1985-2005) में उत्तर बिहार की कई चीनी मिलें बंद हो गईं। उन्होंने आरोप लगाया की, एक समय उत्तर बिहार में 16 चीनी मिलें चलती थीं, उनमें से सात लालू-राबड़ी के राज में बंद हुई।
मंत्री मंगल पांडेय ने कहा, मिलें बंद होने से रोजगार के हजारों अवसर खत्म होने के साथ साथ किसानों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पश्चिम चंपारण में नरकटियागंज, लौरिया, मझौलिया, चनपटिया, बगहा और रामनगर में कुल छह चीनी मिलें थीं। चनपटिया चीनी मिल वर्ष 1994 से बंद है।मधुबनी की लोहट चीनी मिल 1996 में बंद हो गई।मुजफ्फरपुर की मोतीपुर चीनी मिल में 1997 से पेराई ठप हो गई। समस्तीपुर जिला मुख्यालय स्थित चीनी मिल पर 1985 (कांग्रेस के शासनकाल) से ताला लगा है।1993 में सकरी और 1994 में रैयाम चीनी मिल में तालाबंदी हो गई।