उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के कई गन्ना किसानों ने अपना रुख गुड़ इकाइयों की तरफ किया

लखीमपुर: चीनी मिलों द्वारा गन्ना भुगतान में देरी का असर किसानों पर हुआ है, जिसके कारण अब किसानों ने अपना रुख गुड़ इकाइयों तरफ किया है। चीनी मिलों जैसी बड़ी लंबी कतारें अब गुड़ इकाइयों के सामने दिखाई दे रही है। उत्तर प्रदेश के गन्नाबहुल लखीमपुर, पीलीभीत, सीतापुर और बहराइच जिलों सहित उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में बुधवार को मतदान हो रहा है, और यहां के गन्ना किसान चुनाव में अहम भूमिका निभाते आ रहें है। इस बार के चुनाव में भी गन्ना किसानों पर राजनीतिक दलों का भविष्य निर्भर है। जिसके कारण सभी राजनीतिक दल किसानों को लुभाने की जी तोड़ मेहनत कर रहें है।

द फ्री प्रेस जर्नल में प्रकाशित खबर के मुताबिक सभी पक्षों के गन्ना बकाया भुगतान के वादे के बावजूद तराई क्षेत्र के किसान अपनी उपज बेचने के लिए गुड़ इकाइयों पर लंबी कतारें लगा रहे हैं। गुड़ इकाइयों को गन्ना बेचने के पीछे तत्काल नकद भुगतान का प्रमुख कारण हैं। किसान मिलों द्वारा भुगतान में देरी से बचने और चीनी मिलों पर गन्ना पर्ची मिलने के लंबे इंतजार से बचने के लिए वे गुड़ निर्माताओं को उपज बेचने को तरजीह दे रहे हैं। वर्तमान में गुड़ इकाइयां गन्ना किसानों को 320-330 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान कर रही हैं, जबकि यह चीनी मिलों द्वारा दी जाने वाली दरों से थोड़ा कम है। कोरोना महामारी के बाद गुड़ की मांग कई गुना बढ़ गई है और इस साल इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में नए क्रशर आए हैं।

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