लखनऊ : चीनीमंडी
चीनी मिल बिक्री घोटाले के तार बसपा सुप्रीमो मायावती तक पहुँचनें की संभावना है, सीबीआई की जांच मायावती के लिए आने वाले दिनों में मुसीबत पैदा कर सकती है। मायावती ने चीनी मिल बिक्री घोटाले में कई बार अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की, फिर भी सीबीआय कभी भी उनके दरवाजें पर दस्तक दे सकती है। सीबीआय ने चीनी मिल बिक्री मामले में जांच तेज कर दी है, आनेवाले दिनों में और नौकरशाहों की पूछताछ हो सकती है।
चीनी मिलों के विनिवेश घोटाले मामले की जांच के सिलसिले में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के पूर्व सचिव के युपी समेत कई अन्य ठिकानों पर सीबीआय द्वारा मंगलवार को छापेमारी की गई। इसमें पूर्व आईएएस अधिकारी नेताराम और विनय प्रिया दुबे और पूर्व एमएलसी इकबाल सिंह के बेटे वाजिद अली और मोहम्मद जावेद के घर और ऑफिस की तलाशी ली गई। 2007 और 2012 के बीच, मायावती जब वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं, उस समय उन्होंने नेताराम को कुछ समय के लिए सचिव का पद दिया था, और विनय दुबे उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम के प्रबंध निदेशक थे। विनिवेश घोटाला मामले में नई दिल्ली के बाराखंभा रोड स्थित चार्टर्ड अकाउंटेंट और यूपी के सहारनपुर में एक अन्य व्यक्ति के परिसरों की भी तलाशी ली गई।
पूर्व नौकरशाह नेताराम और विनय प्रिय दुबे के ठिकानों पर छापेमारी के कारण लोगो को लगता है की अब मायावती भी सीबीआय की चपेट में आ सकती हैं।मायावती शासनकाल में नेताराम मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव और मायावती के काफी करीबी माने जाते थे। नेताराम प्रमुख सचिव और फिर अपर कैबिनेट सचिव भी थे। इससे पहले भी चीनी मिल बिक्री घोटाले से संबंधित आरोपों पर मायावती सफाई देती रही हैं। जब सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी, उस समय मायावती ने बयान जारी किया था कि चीनी मिलों को बेचने का निर्णय कैबिनेट का था। तत्कालीन गन्ना मंत्री ने जो प्रस्ताव भेजा था, उसे कैबिनेट ने पास किया था।
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