पुणे: राज्य की सभी सहकारी चीनी मिलों की शीर्ष संस्था, महाराष्ट्र कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन ने कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश को लागू करने और चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) 3,750 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है।
सहकारी चीनी मिलर्स उद्योग के बुनियादी कच्चे माल गन्ने की उचित और लाभकारी कीमतों (FRP) में वृद्धि को लेकर चिंतित है। CACP की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने गन्ने का एफआरपी बढ़ाकर 3,150 रुपये प्रति टन कर दिया। CACP ने चीनी के एमएसपी में बढ़ोतरी की भी सिफारिश की है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, महासंघ के अध्यक्ष पी.आर. पाटिल ने कहा, सिर्फ CACP ही नहीं, चीनी मूल्य नियंत्रण अधिनियम ने भी केंद्र सरकार को उन कीमतों को बदलने का आदेश दिया है, जिन पर बाजार में चीनी बेची जानी चाहिए।
पाटिल का कहना है की वर्तमान में, चीनी का एमएसपी 3,100 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि मिल मालिकों को इससे अधिक भुगतान करना पड़ता है। पिछले पांच वर्षों में एफआरपी 2,900 रुपये से बढ़ाकर 3,150 रुपये प्रति टन कर दिया गया है। उन्होंने कहा की अंतिम उत्पाद, जो कि चीनी है, उसकी कीमत मिल मालिकों द्वारा कच्चे माल की खरीद के लिए किसानों को दी जाने वाली कीमत से कम है।
फेडरेशन ने संचालन, वेतन, मौजूदा ऋणों पर देय ब्याज और सबसे महत्वपूर्ण बात, अंतिम उत्पाद बेचने से पहले ही एफआरपी भुगतान पर किए गए खर्च के आधार पर प्रति टन 3,750 रुपये का एमएसपी का सुझाव दिया है। पाटिल ने कहा, अगर चीनी का एमएसपी बढ़ाया जाता है, तो मिलें एफआरपी का भुगतान एक किस्त में कर सकेंगी।