नई दिल्ली : चीनी मंडी
चीनी मिलों ने केंद्र सरकार से उत्पादन लागत को कवर करने के लिए चीनी की ‘एक्स गेट’ (पूर्व मिल मूल्य ) न्यूनतम कीमत प्रति किलोग्राम 36 रूपये तय करने का आग्रह किया है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) ने हाल ही में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग को इस संबंध में एक ज्ञापन प्रस्तुत किया।
उद्योग सूत्रों ने कहा कि, उत्तर प्रदेश में औसत पूर्व-मिल मूल्य 31.50 रुपये प्रति किलो और महाराष्ट्र में ₹ 29.70 रुपये प्रति किलो था। एसोसिएशन के मुताबिक, इस वर्ष अक्टूबर में शुरू होने वाले गन्ना क्रशिंग सीझन में चीनी का उत्पादन 35 मिलियन टन होने की उम्मीद है। गन्ना क्रशिंग सीझन आमतौर पर अप्रैल तक चलता हैं, अगले सीजन में चीनी मिलों को किसानों को ₹ 97000 करोड़ रुपये का उचित लाभकारी मूल्य देना होगा। अगर सरकार चीनी की ‘एक्स गेट’ कीमत बढ़ाती है, तो फिर मिलें किसानों का बकाया आसानी से चुका पाएंगी, नही तो मिलों को और घाटे का सामना करन पड़ सकता है ।
केंद्र सरकार को निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कुछ और ठोस कदम उठाने चाहिए और घरेलू एक्स-मिल की कीमत ₹ 36 प्रति किलोग्राम तक बढ़ानी होगी। निर्यात मोर्चे पर, सरकार को अगले चीनी सत्र के अगले दो महीनों में अपनी पॉलिसी की घोषणा करनी चाहिए, ताकि निर्यात अनुबंध को अंतिम रूप दिया जा सके और चीनी मिलों को कच्ची चीनी बनाने के आदेश मिल सके।
कच्ची चीनी निर्यात में अनेक रूकावटे
निर्यात अवसरों के बारे में जानने के लिए आईएसएमए के अधिकारियों ने सरकारी अधिकारियों के नेतृत्व में कुछ प्रतिनिधिमंडलों के साथ कई देशों का दौरा किया था। बांग्लादेश, दुबई और चीन में रिफाइनरियों और आयातकों ने इस साल अक्टूबर से कच्चे चीनी के लिए दीर्घकालिक आयात अनुबंध में रुचि दिखाई है। लेकिन, ये देश ब्राजील और थाईलैंड की दरों की तर्ज पर भारत से चीनी चाहते हैं। हालांकि, भारत के निर्यातक उनकी ये मांग पूरी करने में अभी असमर्थ हैं।
चीनी की मौजूदा वैश्विक कीमतों को देखा जाए तो भारतीय चीनी मिलों को लगभग प्रति किलोग्राम 13 रुपयों का नुकसान उठाना पड़ रहा है । इसलिए, एसोसिएशन ने घरेलू बाजार में न्यूनतम एक्स-मिल चीनी की कीमतों को प्रति किलोग्राम 36 रूपये तय करने का सुझाव दिया। इसके अलावा, अगले सीजन में 60 लाख से 70 लाख टन कच्ची चीनी के निर्यात की अनुमति मांगी है । दक्षिण भारत चीनी मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन पलानी जी पेरियासमी के मुताबिक, चीनी मिलों की कम क्षमता के कारण चीनी की उत्पादन लागत ₹ 39 किलोग्राम थी और औसत पूर्व-मिल मूल्य कीमत ₹ 34 किलोग्राम थी। याने की ५ रुपया घाटा था ।