“अच्छा काम करने वाली चीनी मिलों को मदद और क़ानून के बाहर जाकर अनुचित काम करने वालो के खिलाफ कार्यवाही”

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लखनऊ, 12 जून : उत्तर प्रदेश का चीनी उद्योग देश की अर्थव्यव्स्था को मज़बूती प्रदान कराने के साथ सूबे की कृषि आधारित आबादी की आजीविका का महत्वपूर्ण आर्थिक आधार है। राजधानी लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि चीनी उद्योग सूबे के 30 लाख से भी अधिक गन्ना किसानों की रोज़ी रोटी से सीधा जुड़ा हुआ है। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने चीनी उद्योग और गन्ना किसानों के समन्वित विकास के लिए काम किया है। सरकार के दो साल और तीन महिनो के कार्यकाल की उपलब्धियाँ गिनाते हुए राणा ने कहा कि हमने सरकार बनते ही सबसे पहले गन्ना किसानों और चीनी उद्योग की सुध ली तो पता चला कि गन्ना किसान आर्थिक सम्पन्न तब ही बनेंगे जब सूबे की चीनी मिलें ठीक रहेगी,जब चीनी मिलों की स्थिति का आँकलन किया तो सामने आया कि चीनी मिलों को आर्थिक मदद कर उनकी माली हालत में सुधार की ज़रूरत है।

हमने सबसे पहले बंद पड़ी चीनी मिलों और आर्थिक तंगी से जूझ रही सरकारी और सहकारी क्षेत्र की चीनी मिलों का ग्राउंड ज़ीरो से नवीनीकरण सुधार कार्य किया। इसके बाद निजी चीनी मिलों का सर्वेक्षण करवाकर उनके साथ बैठक की और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए और शासन के स्तर पर पूरा सहयोग किया। मंत्री ने कहा कि हमने मिलों की मदद के साथ शर्तें रखी कि जो मिलें अच्छा काम करेंगीं उनको मदद करेंगे और जो क़ानून के बाहर जाकर अनुचित काम करेगी उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही करेंगे। हमने अपने एक्शन प्लान को जारी रखा। चीनी उद्योग के सुदृढ़ीकरण के साथ गन्ना किसानों की उन्नति हेतु गन्ने का मूल्य भुगतान व्यवस्थित तरीक़े से करने के प्रावधान किए। मंत्री ने कहा कि बीते दो सालों में चीनी मिलों ने गन्ना किसानों का समुचित तरीक़े से भुगतान किया। बीते सालों के उदाहरण आप ले लीजिए। पैराई सत्र 2017-18 का देय गन्ना मूल्य 35,463.68 करोड़ का था जिसका समय सीमा में सम्पूर्ण भुगतान कराने का काम हमारी सरकार ने किया। इसी तरह वर्तमान पैराई सत्र में भी हमने रिकॉर्ड गन्ना भुगतान करवाया। हमारा गन्ना भुगतान पूर्ववर्ती सरकारों के पैराई सत्रों 2015-16 एवं 2016-17 के सम्मिलित रूप से देय गन्ना मूल्य रुपये के 43,389 से 6,668 करोड़ रुपये अधिक है। ये हमारी सरकार की चीनी उद्योग और गन्ना किसानों के प्रति सकारात्मक सोच को रेखांकित करता है।

मंत्री ने कहा कि सरकार ने गन्ना किसानों के त्वरित भुगतान के लिये संभाग स्तर पर योजना बनायी। चीनी मिलों को उनके बकाया का भुगतान दिलाने के लिए सुनियोजित योजना के तहत काम किया और मिलों को सरल ब्याज पर ऋण दिए। इसके लिये हमने चार हज़ार करोड़ रुपयों की ऋण योजना शुरु की। इसी तहत बीते सत्र में प्रदेश की निजी मिलों, निगम की चीनी मिलों और सहकारी क्षेत्र की 119 में से 90 चीनी मिलों द्वारा पैराई सत्र 2017-18 का हमने शत प्रतिशत भुगतान करवाया। वर्तमान सत्र में भी समय पर गन्ना भुगतान कराने का काम हुआ है।

मंत्री ने कहा कि सरकार चीनी मिलों को मदद तो कर ही कर रही है वहीं सिस्टम में व्याप्त अनियमितताओं को दूर करने के लिए कई क़दम भी उठाये है । इनमें पर्ची निर्गमन की वर्तमान व्यवस्था को माफियाओं के चंगुल से मुक्त करना, घटतौली पर अंकुश लगाने के लिये जिला स्तर पर जाँच दल गठित कर दोषियों के ख़िलाफ़ कार्यवाई करने जैसे निर्णय भी शामिल है।

गन्ना मंत्री राणा ने कहा कि चीनी मिलों के काम में पारदर्शिता लाने के लिए उन्हें डिजीटल सिस्टम से जोड़ने के अलावा चीनी मिलों के विस्तार कार्यक्रम पर भी तेज़ी से काम किया जा रहा है ताकि प्रदेश में चीनी मिलों के रिफॉर्म, परफ़ार्म और ट्रांसफ़ॉर्म की जो शुरुआत दो साल तीन महीने पहले ग्राउंड ज़ीरो से हुई थी उसका फ़ायदा गन्ना किसानों को जमीनी स्तर पर उनके आर्थिक सशक्तीकरण के जरिए मिल सके।

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