नई दिल्ली : भारतीय चीनी मिलें तेजी से निर्यात सौदों कर रही हैं और केंद्र द्वारा निर्यात को मंजूरी दिए जाने के चार दिनों के बाद लगभग 10 लाख टन के लिए अनुबंध किये जा चुके है, क्योंकि उन्हें वैश्विक बाजारों में अपने उत्पाद के लिए उच्च कीमत मिल रही है। भारत द्वारा त्वरित निर्यात वैश्विक कीमतों पर दबाव डाल सकता है, और यह कदम मिलों को अधिशेष को जल्दी से समाप्त करने और घरेलू कीमतों को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अक्टूबर से शुरू हुए 2022-2023 सीजन में 60 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए भारत की मंजूरी शनिवार की देर रात मिली। केंद्र सरकार द्वारा जैसे ही चीनी निर्यात नीति की घोषणा की गई, देश भर के प्रमुख व्यापारियों और मिलर्स ने निर्यात सौदों पर हस्ताक्षर करना शुरू कर दिया है। सरकार के घोषणा के बाद, मिलों ने लगभग 10 लाख टन चीनी निर्यात करने के सौदों पर समझौता किया है।
मिलों को दिसंबर के अंत से पहले 6 मिलियन टन का पूरा आवंटित कोटा बेचने की संभावना है, और शिपमेंट मार्च के अंत तक बढ़ सकता है। 2021-2022 में भारत का चीनी निर्यात 11 मिलियन टन से अधिक के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया, लेकिन निर्यात करनेवाली अधिकांश मिलें पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र और पड़ोसी कर्नाटक की थी। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) को उम्मीद है कि, केंद्र सरकार 60 लाख टन निर्यात के बाद निर्यात के लिए 30 लाख टन की दूसरी किश्त आवंटित कर सकती है।