नई दिल्ली : चीनी मंडी
वैश्विक बाजार में चीनी के दाम घटने से निर्यात में होनेवाले सम्भावित घाटे में रिहायत देने के लिए अनुदान की बजाय चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य प्रति किलोग्राम २९ से ३६ रूपये करने की मांग देश के चीनी उद्योग संघटन ने केंद्र सरकार से की है। सरकार भी चीनी उद्योग को संकट से बाहर निकलने के लिए इस मांग पर गंभीरता से विचार कर रही है, अगर सरकार द्वारा चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य बढाया जाता है तो चीनी मिलों को घरेलू बाज़ार से ही अच्छा राजस्व मिल सकता है और निर्यात का घाटा भी कम होकर चीनी मिलें आर्थिक कठिनाईयों से बाहर आ सकती है ।
देश में २०१७-२९१८ के क्रशिंग सीझन में ३२२.५० लाख मेट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ है, २०१७-२९१८ का बम्पर उत्पादन और पिछले साल का चीनी का बचा हुआ स्टॉक मिलाकर २०१८-२०१९ का क्रशिंग सीझन शुरू होने से पहले तक चीनी का स्टॉक १०० लाख मेट्रिक टन तक पहुंचा है और अब आनेवाले सीझन में फिरसे ३५० लाख मेट्रिक टन चीनी का उत्पादन होने की सम्भावना जताई जा रही है। चीनी के इस बम्पर उत्पादन और बम्पर स्टॉक से चीनी उद्योग पर भारी वित्त संकट मंडरा रहा है, इसको ध्यान में लेते हुए सरकार ने २० लाख मेट्रिक टन चीनी निर्यात का फैसला लिया था और उसकी अंतिम तिथि ३० सितम्बर २०१८ है, मगर इस सब के बीच घरेलू बाजार में चीनी के दरों में बढ़ोतरी और आंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट के चलते मिलों ने निर्यात मुनासिफ नहीं समझी ।अगस्त महिने के आखरी हफ्ते तक केवल ५ लाख मेट्रिक टन चीनी ही निर्यात हुई है।
सरकारद्वारा तय किया निर्यात कोटा पूरा करने जितनी कच्ची चीनी इस वक़्त देश में उपलब्ध नहीं है, अगर कच्ची चीनी होती भी तो भी इस वक़्त निर्यात करके मिलों को घाटा ही उठाना पड़ता. इस घाटे से निजाद पाने के लिए पिछले कई महीनों से चीनी मिलें सरकार से आर्थिक सहायता की गुहार लगा रहे थे. इसके चलते सरकारने चीनी उद्योग के लिए ८५०० करोड़ का राहत पेकेज का ऐलान किया था. लेकिन इस मदद से भी चीनी मिलों को जादा फायदा नही हो सका।
अब सरकार चीनी मिलों को राहत पेकेज की बजाय चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य अगर २९ रूपये से ३६ रूपये प्रति किलोग्राम करने की मांग कर रहे है। अगर सरकार ये फैसला लेती है तो आनेवाले क्रशिंग सीझन में भी गन्ना किसानों का एफआरपी देने में आसानी हो सकती है और आर्थिक स्थिती से निपटने में मिलें सक्षम हो जाएगी, ऐसा दावा चीनी उद्योग के द्वारा किया जा रहा है। सरकार भी चीनी उद्योग की इस मांग पर गम्भीरता से विचार कर रही है ।
सरकार ने चीनी निर्यात सीमा दिसंबर तक बढाई
भारत सरकार ने 2 मिलियन टन चीनी के निर्यात के लिए समय सीमा बढाकर दिसंबर तक की है । भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है, यहाँ गन्ना फसल का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर होने के बाद चीनी का भी देश के भीतर बम्पर स्टॉक हुआ है, लेकिन चीनी की दरों में लगातार गिरावट से घरेलू बाजार में चीनी बिक्री करने में मिलों को दिक्कत हुई । इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने २० लाख मेट्रिक टन चीनी निर्यात की अनुमति दी थी, लेकिन तय सीमा में केवल ५ लाख मेट्रिक टन चीनी निर्यात हो सकी थी, इसके चलते चीनी मिलों को राहत देने के लिए सरकार ने चीनी निर्यात की समय सीमा दिसंबर तक बढाई । इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने कहा कि, 2018-19 में भारत का चीनी उत्पादन चालू वर्ष से 35 मिलियन टन से बढ़कर 35.5 मिलियन टन हो जाएगा।