नई दिल्ली, 23 दिसम्बर: देशभर में गन्ना उत्पादक राज्यों में पैराई सत्र चल रहा है। प्रारंभिक आँकड़ों के अनुसार देश में विभिन्न कारणों से गन्ने की बुआई का रक़बा कम होने के कारण चीनी मिलों में गन्ने की आवक कम हो रही है। जिसके चलते 2019-20 के गन्ना पैराई सत्र में चीनी उत्पादन घटने की संभावना जतायी जा रही है।
चीनी के घटते उत्पादन के बीच देश में चीनी व्यापार और कारोबार के मसले पर मीडिया को जानकारी देते हुए हुए केन्द्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने कहा कि सरकार स्थिति पर नज़र बनाए हुए है। चीनी मिलों को आर्थिक रूप से मज़बूती प्रदान कराने के लिए सरकार उन्हें हर तरह की सहुलियत दे रही है। चीनी के निर्यात के लिए सरकार ने मिलों को समय समय पर अपने हितों के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी है।
मंत्री ने कहा कि पिछले साल के चीनी के स्टॉक और इस साल के चीनी के अधिशेष अनुमान को देखते हुए सरकार ने 2019-20 में चीनी मिलों को 60 लाख टन के निर्यात का न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा यानि एमएईक्यू तय किया है ताकि चीनी मिलें समयानुकूल लाभकारी निर्णय ले सकें। पिछले साल भी सरकार ने मिलों को आर्थिकी के मुताबिक़ निर्यात कोटे में छूट दी थी।
बीते साल अधिशेष चीनी की पूर्ति के लिए चीनी सत्र अक्तूबर 2018 से सितम्बर 2019 में निर्यात के लिए चीनी मिलों के लिए 50 लाख टन का न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा तय किया था लेकिन इस तय कोटे में से चीनी मिलों ने मात्र 37 लाख टन चीनी का ही निर्यात किया था। मंत्री ने कहा कि तब चीनी मिलों के प्रतिनिधियों के साथ सरकार ने बैठक कर उनके सुझावों पर अमल करने के अलावा उन्हें चीनी निर्यात से जुड़े हितों का ध्यान रखते हुए निर्णय लेने की छूट दी थी।
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