नई दिल्ली, 27 जनवरी: भारत में कृषि फसलों में गन्ना, कपास और धान की खेती किसानों के लिए हमेशा से ही लाभकारी रही है। इन फसलों की खेती किसान आदिकाल से करते आए है। नगदी फसलों में गन्ने की खेती किसानों के लिए आय का प्रमुख श्रोत मानी जाती रही है। गन्ने की खेती देश के करोडो लोगों की आजीविका सुनिश्चित करती है। इसकी मुख्य वजह गन्ने का प्रसंस्करण और सहयोगी व्यवसाय है।
वैसे तो देश में गन्ना और चीनी मिलों का विकास सतत होता आया है लेकिन चीनी एवं गन्ना विभाग के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल के चलते विकास के नए आयाम स्थापित हुए है। इस विषय पर मीडिया से बात करते हुए केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियों की वजह से भारत में चीनी उदयोग का व्यापक विस्तार और विकास हुआ है। चीनी उद्योग में गन्ना आज व्यापक तौर पर कच्चे औद्योगिक माल के रूप मे तब्दील हो रहा है।
मंत्री ने कहा कि ये सरकार की युवाओे के हित में बनायी गयी नीतियों का ही असर है कि कृषि क्षेत्र से पढ़े हुए बेरोज़गार युवकों के लिए चीनी मिलो् में तकनीकी और ग़ैर तकनीकी क्षेत्र मे हजारों नए जॉब श्रृजित हुए है। ग़ैर तकनीकी क्षेत्र के युवाओं को कौशल दक्षता का प्रशिक्षण देकर तकनीकी रूप से दक्ष बनाया गया है।
मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मुज्जफरनगर के जिला गन्ना अधिकारी आरडी द्विवेदी ने कहा कि केन्द्र सरकार के सहयोग से यूपी में राज्य सरकार द्वारा हर साल नई चीनी मिलों का शिलान्यास किसा जाता है। आज गोरखपुर, मेरठ,बागपत, और मुज़फ़्फ़रनगर जैसे कई जिलों में नई चीनी मिलें लगी है। ये मिलें इतनी आधुनिक है कि गन्ना पैराई सत्र के दौरान तीन दिन का काम एक ही दिन में पूरा हो रहा है। आज यूपी के गन्ना उत्पादक किसानों की न केवल आमदनी बढ रही है बल्कि मिलों में समय पर गन्ना पैराई भी हो रही है। दिवेदी ने कहा कि सरकार की योजना की वजह से प्रदेश में गन्ना किसानों को न केवल समय पर उनका बकाया चुकाया जा रहा है बल्कि पर्ची कटने के बाद तीनी दिन में मिल में गन्ना आकर नापतोल हो जाता है। ये सरकार की नीतियों का ही असर है कि कम लागत में किसानो को न केवल अधिक मूल्य दिलाने का काम किया जा रहा है बल्कि गन्ना पैराई सत्र में 20 दिन के अन्दर किसानों के खाते मे उनका पैसा स्थानांतरित भी किया जा रहा है।
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