मानसून की देरी ने बढ़ाई टेंशन

नई दिल्ली: चक्रवात बिपरजॉय के कारण मानसून में देरी हो गई है।साथ मानसून की आगे की चाल भी कमजोर होने की संभावना जताई गई है। मानसून की कमी ने किसानों की चिंता बढ़ाई है।जून महिना मानसून के बिना ही खत्म होने का अनुमान है।कम बारिश के लिए अल नीनो को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। 1 जून से 15 जून तक महाराष्ट्र में 80 प्रतिशत, पूर्वी यूपी ९७ प्रतिशत, पश्चिमी यूपी ८३ प्रतिशत, पश्चिमी एमपी ७३ प्रतिशत, हरियाणा, दिल्ली और चंडीगढ़ 30 प्रतिशत बारिश की कमी है।देश का खाद्यान्न का कटोरा कहे जानेवाले महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, और उत्तर प्रदेश तक मानसून अभी तक पहुंच जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नही हो पा रहा है।

जी न्यूज़ के अनुसार, मानसून के 1 जून से 15 जून तक के आंकड़े खेती के लिए बिलकुल अच्छे नही है।इस साल बादल कम बरस रहे है।इतने कम की देश के ७१६ ज़िलों में आधे में बारिश बहुत कम हुई है। बचे 50 प्रतिशत ज़िलों में से 20 प्रतिशत ज़िलों में भी कम बारिश दर्ज की गई है।यानि कुल 70 प्रतिशत ज़िलों में मानसून काफी कम है।देश 1 जून से 15 जून तक लगभग ५३ प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। स्काईमेट के मेट्रोलॉजी एंड क्लाइमेट चेंज विभाग के प्रेसिडेंट जी.पी. शर्मा ने कहा की, महाराष्ट्र में कम बारिश बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि यहाँ की खरीप खेती बड़ी मात्रा में मानसून के बारिश पर निर्भर है।

कृषि विभाग के पूर्व एडिशनल सेक्रेटरी आलोक सिन्हा ने कहा की, बारिश की कमी चिंता का विषय, पर पैनिक होने की जरूरत नहीं।उन्होंने कहा, खरीप फसल बुआई के लिए देश के एक चौथाई हिस्से को बारिश की ज्यादा जरूरत है, और मानसून में देरी इन इलाकों को प्रभावित कर सकती है।अगर यही स्थिति बनी रही तो, चावल और धान के उत्पादन में 30 प्रतिशत की कमी होने की संभावना है।देश में खाद्यान्न बड़ी मात्र में उपलब्ध है, इसलिए इस साल उत्पादन गिरने से भी चावल या गेहूं के दाम जादा बढ़ने की संभावना नही है।

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