यह न्यूज़ सुनने के लिए इमेज के निचे के बटन को दबाये
नयी दिल्ली 20 जून: सरकार ने स्पष्ट किया है कि गलत निर्यातकों पर लगाम लगाने और फर्जी बिलों के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के भुगतान से हो रहे राजस्व नुकसान को नियंत्रित करने के उद्देश्य से आईजीएसटी रिफंड की मैन्यूअल जांच शुरू की गयी है लेकिन इससे ईमानदार निर्यातकों को कोई परेशानी नहीं होगी और उन्हें पूर्ण स्वचालित प्रक्रिया से आईजीएसटी रिफंड मिलते रहेंगे।
केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने इस संबंध में गुरूवार को मीडिया में खबरें आने के बाद स्पष्टीकरण जारी कर इस तरह की खबर से भ्रामकधारणा पैदा होती है कि सत्यापन की नयी प्रणाली के कारण ईमानदार निर्यातकों को परेशानी होगी।
सीबीआईसी ने हाल ही में सीमा शुल्क और जीएसटी विभाग को कुछ ऐसे निर्यातकों को किये गये अाईटीसी रिफंड की जांच करने को कहा है जिनकों पूर्व परिभाषित जोखिम मानदंडों के आधार पर जोखिम वाले निर्यातक की श्रेणी में रखा गया है। उसने कहा कि देश में 1.42 लाख निर्यातकों में से अब तक 5,106 जोखिम निर्यातकों की पहचान की गई है जो कुल निर्यातकों की संख्या का मात्र 3.5 प्रतिशत हैं। पिछले दो दिनों 17 और 18 जून को कुल 925 निर्यातकों द्वारा दाखिल लदान पत्रों पर रोक लगाई गई है जबकि इस दौरान करीब 9,000 निर्यातकों ने लगभग 20 हजार लदान पत्र दाखिल किए हैं।
सीबीआईसी ने कहा है कि जोखिम की श्रेणी में आये निर्यातकों को भी तत्काल निर्यात की इजाजत दे दी गई है। आईटीसी के सत्यापन के बाद अधिकतम 30 दिन के भीतर रिफंड जारी किया जाएगा। उसने कहा कि जांच की नई प्रक्रिया का उद्देश्य राजस्व नुकसान पर रोक लगानाे के लिए ऐसे निर्यातकों को रोकना है जो निर्यातकों के एक बड़े समुदाय काे बदनाम कर रहे हैं। सीबीआईसी ने ईमानदार निर्यातकों को आश्वासत किया है कि उन्हें पूर्ण स्वचालित प्रक्रिया के जरिये समय पर आईजीएसटी रिफंड मिलते रहेंगे