तमिलनाडु में आधे से ज्यादा निजी चीनी मिलें बंद रहने की संभावना

चेन्नई : चीनी मंडी

तमिलनाडु की चीनी मिलें बुरी तरह से संकट में फसी हुई है और साथ ही आर्थिक तंगी से जूझ रही है। दक्षिण भारतीय चीनी मिल संघ (SISMA) के अनुसार, तमिलनाडु में 25 निजी चीनी मिलों में से कम से कम 14 मिलें गन्ने की कमी और तरलता की कमी के कारण 2019-20 चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में परिचालन शुरू नहीं करेंगी। मौजूदा 2018-19 सीजन के अंत में तमिलनाडु में 8.83 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जो इसकी स्थापित क्षमता का सिर्फ एक तिहाई है। इसमें सहकारी मिलों का उत्पादन 2.77 लाख टन शामिल है।

मौजूदा सीज़न में, थिरु अरोरण शुगर्स, जो एनसीएलटी के दायरे में आया है, और इसकी सहयोगी कंपनी अंबिका शुगर्स की मिलें, सकती शुगर्स, ईआईडी पैरी और पद्मादेवी शुगर्स में इस साल पेराई नही हुई।

‘एसआईएसएमए- तमिलनाडु’ के अध्यक्ष पलानी जी पेरियासामी ने कहा कि, राज्य की 25 निजी मिलों में से 14 मुख्य रूप से गन्ने की कमी के कारण आगामी सत्र में परिचालन शुरू नहीं करेंगी।

आपको बता दे, हालही में  केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आश्वासन दिया था की वे राज्य के चीनी उद्योग को संकट से बाहर निकालने में मदद करेंगी। सीतारमण, जो ‘मोदी सरकार के 100 दिनों में उपलब्धियां’ को समझाने के लिए चेन्नई में थीं, ने तमिलनाडु में चीनी उद्योग के प्रतिनिधियों को उनकी मुसीबतों पर काबू पाने में मदद करने का आश्वासन दिया है।

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