पुणे : चीनी मंडी
देश में पिछले दो-तीन सालों में देश में रिकॉर्ड गन्ना और चीनी उत्पादन हुआ, जिससे घरेलू और आंतरराष्ट्रिय बाजार में चीनी की कीमतों में लगातार गिरावट देखि गई। ठप बिक्री और कीमतों में भारी गिरावट के कारण चीनी मिलर्स गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करने में भी विफ़ल साबित हुए। केंद्र सरकार द्वारा चीनी उद्योग को राहत देने के लिए चीनी के लिए ‘एमएसपी’ लागू की गई। ‘एमएसपी’ लागू होने से एकतरफ चीनी उद्योग को राहत मिली, तो दूसरी तरफ चीनी कीमतों से खेलने वाले सट्टेबाजों का भी खेल ‘खत्म’ हो गया। जिससे चीनी मिलों के साथ साथ ग्राहकों को भी फायदा मिला।
एमएसपी के कारण चीनी की कीमतों में अब पहले जैसा उलटफेर बिल्कुल ही खत्म हुआ है, जिसके कारण कई छोटे और मझोले कारोबारी अन्य कमोडिटीज का रुख कर रहे हैं। सूखे की वजह से दलहन, ज्वार और अन्य अनाजों की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव होता है। इसलिए इनका व्यापार चीनी से अधिक फायदेमंद बन गया है। जबतक ‘एमएसपी’ लागू नही थी, तब तक भारतीय बाजार में चीनी के दाम में उछाल – गिरावट आम बात थी। एमएसपी लागू होने से पहले कारोबारियों के पास मौजूद स्टॉक 20 लाख रहा करता था। हालांकि, अब ‘एमएसपी’ के कारण कारोबारी स्टॉक जमा करने के बजाय हाथों हाथ कारोबार कर रहे हैं।
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