मंड्या : चीनी मंडी
कर्नाटक के चीनी मंत्री सी. टी. रवि ने मंड्या में आयोजित बैठक में बताया की, राज्य की पहली चीनी और सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक मात्र मायशुगर मिल (मैसूर शुगर कंपनी लिमिटेड) द्वारा दो साल बाद फिर से गन्ना पेराई शुरू किया जायेगा। हालांकि, गन्ना उत्पादकों ने मंत्री रवि ने “अंधेरे में रखकर” बैठक आयोजित करने का आरोप लगाया। मंत्री रवि ने स्पष्ट नहीं किया कि, राज्य सरकार मायशुगर का स्वयं परिचालन जारी रखेगी या उसका निजीकरण करेगी।
रवि, जो कन्नड़ और संस्कृति मंत्री भी हैं, ने आठ दशक पुरानी चीनी मिल के भविष्य पर चर्चा के लिए अधिकारियों, निर्वाचित प्रतिनिधियों और कुछ किसानों के प्रतिनिधियों के साथ यहां मिल में बैठक बुलाई थी। सांसद सुमालता, विधायक एम. श्रीनिवास और एमएलसी के.टी. श्रीकांते गौड़ा बैठक में शामिल हुए, जबकि जिले के अन्य छह विधायक बैठक से दूर रहे। समीक्षा बैठक में मायशुगर और पांडवपुरा चीनी मिलों को लिज़ पर देने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था। रवि ने कहा कि, निर्णय लेने से पहले गन्ना उत्पादकों और मिलों के कर्मचारियों की राय एकत्र करना आवश्यक था। उन्होंने कहा कि, पिछले 10 वर्षों में मायशुगर पर 428 करोड़ की बड़ी राशि खर्च की गई है और उन्होंने, मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा से मिल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच करने के लिए समिति नियुक्त करने की मांग की है। मंत्री ने ऐलान किया की मिल गन्ना पेराई जून 2020 में शुरवात करेगी।
मायशुगर को 1934 में स्थापित किया गया था, जो मंड्या, पांडवपुरा और श्रीरंगपट्टन तालुकों में 102 गांवों में गन्ना उगाने वाले परिवारों के लिए जीविका का स्रोत माना जाता है। यह एशिया की सबसे पुरानी ऑपरेटिंग मिलों में से एक है। खराब प्रशासन, भाई-भतीजावाद, राजनीतिक हस्तक्षेप और वित्तीय अनियमितताओं के कारण मिल को ‘बीमार इकाई’ के रूप में पंजीकृत किया गया है।दिसंबर 2018 से मायशुगर मिल ने गन्ने की पेराई नहीं की है।चीनी मंत्री ने मंगलवार को पांडवपुरा स्थित को-ऑपरेटिव चीनी मिल का भी दौरा किया। हालांकि, उनकी यात्रा कुछ ही मिनटों तक चली।रवि ने गन्ना उत्पादकों को आश्वासन दिया कि, वह मिल में चीनी उत्पादन फिर से शुरू करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेंगे।
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