नई दिल्ली : केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि, प्राकृतिक गैस को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने पर आम सहमति बन रही है। हालांकि, उन्होंने इस विकास के लिए कोई समय सीमा बताने से परहेज किया।एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पुरी ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का हवाला देते हुए एलपीजी कनेक्शन में हुई प्रगति पर जोर दिया। उन्होंने कहा, एलपीजी 100 प्रतिशत संतृप्त है। एलपीजी के जीएसटी के दायरे में आने के मुद्दे पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस सचिव पंकज जैन ने स्पष्ट किया, एलपीजी शुरू से ही जीएसटी के दायरे में है।वर्तमान में घरेलू एलपीजी सिलेंडर पर 5% जीएसटी लगता है, जबकि वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर पर 18% कर लगता है।
दिल्ली में उज्ज्वला योजना के लाभार्थी ₹503 प्रति यूनिट की दर से एलपीजी खरीदते हैं, जबकि गैर-उज्ज्वला उपयोगकर्ताओं के लिए इसकी कीमत ₹803 प्रति यूनिट है। एक सवाल के जवाब में पुरी ने बताया कि, एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) को भी जीएसटी के तहत शामिल करने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा, पिछली जीएसटी बैठक में संकेत दिया गया था कि एटीएफ को जल्द ही शामिल किए जाने की संभावना है। प्राकृतिक गैस को शामिल करने पर भी विचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे कई राज्य, जिन्होंने पहले चिंता व्यक्त की थी, अब इस बदलाव के संभावित लाभ देख रहे हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि कराधान के मामले वित्त मंत्रालय और जीएसटी परिषद के अधीन आते हैं, पुरी ने कहा, मेरा मानना है कि यह जल्द ही होगा ।पुरी ने पेट्रोल के साथ एथेनॉल मिश्रण पर भी अपडेट दिया। सरकार फरवरी तक पेट्रोल के साथ 20% एथेनॉल मिश्रण (ई20) हासिल करने के लिए तैयार है। शुरुआत में 2030 के लिए योजना बनाई गई, इस लक्ष्य को 2024-25 वित्तीय वर्ष तक आगे बढ़ा दिया गया है, जिसमें 2029-30 तक 30% मिश्रण तक पहुंचने का दीर्घकालिक लक्ष्य है।
सरकार का लक्ष्य E 20 मिश्रण कार्यक्रम के माध्यम से तेल आयात को कम करना, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना, कार्बन उत्सर्जन को कम करना और वायु गुणवत्ता में सुधार करना है। फिलहाल डीजल के साथ एथेनॉल का मिश्रण प्रायोगिक चरण में है और इसके लिए कोई अनिवार्यता नहीं रखी गई है। पेट्रोल और डीजल सहित पेट्रोलियम उत्पाद अभी तक जीएसटी ढांचे का हिस्सा नहीं हैं। इन उत्पादों को शामिल करने के प्रयासों को पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों से विरोध का सामना करना पड़ा है।